
देहरादून/बरेली, 12 मार्च 2025:
उत्तराखंड पुलिस की ओर से ड्रग्स तस्करों के खिलाफ यूपी के बरेली में की गई ‘सर्जिकल स्ट्राइक’ अब विवादों में घिर गई है। उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड पुलिस आमने-सामने आ गए हैं। दोनों पक्ष अपने-अपने सबूत पेश कर रहे हैं।
बिना सूचना के दबिश, यूपी पुलिस ने जताई आपत्ति
गत रविवार रात उत्तराखंड पुलिस ने 300 जवानों के साथ बरेली के फतेहगंज पश्चिमी और अगरास गांव में छापा मारा। उत्तराखंड पुलिस का दावा था कि उन्होंने ड्रग तस्करों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की और 25 संदिग्धों को हिरासत में लिया। हालांकि, बरेली पुलिस का कहना है कि यह ऑपरेशन बिना उनकी जानकारी के किया गया, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी फैल गई।
24 लोगों को किया रिहा, निर्दोषों को फंसाने का आरोप
उत्तराखंड पुलिस ने 25 में से 24 लोगों को सबूतों के अभाव में छोड़ दिया, जिससे उनकी कार्रवाई पर सवाल उठने लगे हैं। बरेली पुलिस के मुताबिक हिरासत में लिए गए 15 में से 14 लोगों का कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं था। स्थानीय ग्रामीणों ने भी उत्तराखंड पुलिस पर बेवजह दरवाजे तोड़ने और महिलाओं से अभद्रता करने के आरोप लगाए हैं।
ग्रामीणों का विरोध, तोड़फोड़ और दुर्व्यवहार का आरोप
मंगलवार को फतेहगंज पश्चिमी थाने में ग्रामीणों ने उत्तराखंड पुलिस के खिलाफ तहरीर दी। महिलाओं ने आरोप लगाया कि पुलिसकर्मी घरों में जबरन घुसे, सामान तोड़ा और उनके परिवार के निर्दोष सदस्यों को उठा ले गए।
बरेली पुलिस का पलटवार, उत्तराखंड के तस्कर फैला रहे नशा
उत्तराखंड पुलिस के दावे पर पलटवार करते हुए बरेली पुलिस ने कहा कि असल में उत्तराखंड के तस्कर ही यूपी में स्मैक फैला रहे हैं। उन्होंने पिछले चार साल में 64 तस्करों की गिरफ्तारी का डेटा पेश किया।
उत्तराखंड पुलिस ने कहा, सभी आरोप निराधार
एसएसपी ऊधम सिंह नगर मणिकांत मिश्रा ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पुलिस की कार्रवाई पूरी तरह पेशेवर थी और इसमें कोई दुर्व्यवहार नहीं हुआ। उनका कहना है कि इस ऑपरेशन में महिला पुलिसकर्मियों की भी तैनाती थी, जिससे किसी महिला के साथ दुर्व्यवहार का सवाल ही नहीं उठता।






