
नई दिल्ली, 20 फरवरी 2025
दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर पिछले सप्ताह हुई भगदड़ को लेकर केंद्र और भारतीय रेलवे को कड़ी फटकार लगाई । भगदड़ में 18 लोगों की मौत हो गई थी।
मुख्य न्यायाधीश डीके उपाध्याय और न्यायमूर्ति तुषार राव गेडेला की खंडपीठ ने जानना चाहा कि रेलवे ने कोच में बैठने वाले यात्रियों की संख्या से अधिक टिकट क्यों बेचना जारी रखा है। नाराज कोर्ट ने केंद्र और रेलवे से जवाब मांगा।
न्यायालय ऐसी दुखद घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा उपायों पर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, तथा रेलवे अधिनियम की उस धारा को लागू करने के लिए कहा गया था, जो प्रति कोच यात्रियों की संख्या सीमित करती है तथा नियम का उल्लंघन करने वालों को छह महीने की जेल की सजा का प्रावधान करती है। विचाराधीन नियम धारा 147 है, जिसमें 1,000 रुपये का जुर्माना भी निर्धारित किया गया है।
अदालत ने गुस्से में कहा, “दिखाइए कि कोचों में यात्रियों की संख्या सीमित करने और बिना अनुमति के प्रवेश करने वालों को दंडित करने वाले मौजूदा कानूनों को लागू करने के लिए आप क्या कदम उठाएंगे।” “(रेलवे अधिनियम की) प्रासंगिक धाराओं के अवलोकन से पता चलता है कि… प्रत्येक रेलवे प्रशासन को यात्रियों की एक निश्चित संख्या तय करने का वैधानिक अधिकार है… और यह संख्या कोच के बाहर स्पष्ट रूप से प्रदर्शित की जाएगी।”
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “यदि आप एक साधारण सी बात को सकारात्मक तरीके से… अक्षरशः और भावना से लागू करते… तो इस स्थिति (दिल्ली रेलवे स्टेशन पर भगदड़) से बचा जा सकता था।”
अदालत ने माना कि “भीड़भाड़ वाले दिनों” में रेलवे, उचित सीमा के भीतर, अनुमत सीमा से अधिक लोगों को समायोजित कर सकता है, लेकिन अन्यथा अधिकतम बैठने की क्षमता को लागू करने में “उपेक्षित प्रतीत होता है”। “बेची गई टिकटों की संख्या बर्थ की संख्या से अधिक क्यों थी? यह एक समस्या है।”
रेलवे की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कड़ी आलोचना के बीच अदालत के निर्देशों को स्वीकार कर लिया और कहा कि रेलवे बोर्ड इस स्थिति के सभी पहलुओं पर गौर करेगा। इसके बाद अदालत ने अगली सुनवाई की तारीख 26 मार्च तय की।






