आदि लाटभैरव रामलीला के पांचवां दिन — काशी का धन-धानेश्वर कुंड बना सरयू, केवट ने भगवान श्रीराम को कराया नदी पार

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वाराणसी, 1 अक्टूबर:
अंशुल मौर्य,

उत्तर प्रदेश के वाराणसी में आदि लाटभैरव रामलीला के पांचवें दिन सोमवार को पौराणिक धनेसरा तालाब (धन-धानेश्वर कुंड) पर केवट-राम संवाद और राम घण्डईल लीला का भव्य मंचन हुआ। वनवास काल के दौरान श्रीराम और निषादराज के बीच की इस कथा को बड़े ही भावुक और भक्तिभाव से प्रस्तुत किया गया।

लीला के अनुसार, जब निषादराज से भेंट के बाद श्रीराम को सरयू नदी पार करनी थी, तो उन्होंने निषादराज केवट को नदी पार ले जाने के लिए बुलाया। केवट, श्रीराम को पहचानते हुए, उनसे विनती करता है कि वह तब तक अपनी नाव में उन्हें नहीं बैठाएगा, जब तक उनके चरण धोकर चरणामृत नहीं ले लेता। केवट कहता है कि “हे नाथ, मैंने सुना है कि आपके चरणों में ऐसी शक्ति है कि गौतम ऋषि की पत्नी अहिल्या को आपने अपने चरणों से स्पर्श किया तो वह शिला से पुनः नारी रूप में बदल गईं। मुझे भी ऐसा ही आभास हो रहा है कि आपके चरणों में जादू है। जब तक मैं आपके चरण धोकर चरणामृत नहीं ग्रहण करूंगा, तब तक मैं आपको नाव में नहीं बैठा सकता।”

श्रीराम केवट की भक्ति से प्रभावित होकर कहते हैं, “जैसा तुम चाहो वैसा ही करो, और हमें जल्द से जल्द सरयू पार उतार दो।” केवट प्रसन्न होकर अपने घर से कठौता मंगवाता है और उसमें गंगाजल भरकर श्रीराम के चरणों को धोता है। चरणामृत ग्रहण करने के बाद, वह श्रीराम, लक्ष्मण, और सीता को सरयू नदी पार उतार देता है। जब श्रीराम उतराई के रूप में उसे कुछ देना चाहते हैं, तो केवट विनम्रता से मना करते हुए कहते हैं, “हे नाथ, मैंने आपको एक छोटी नदी पार कराई है। जब मेरी आयु पूरी होगी और मैं आपके धाम आऊंगा, तब आप मुझे भवसागर से पार कराइयेगा।”

इस रामलीला का आयोजन समिति के प्रधानमंत्री एडवोकेट कन्हैयालाल यादव, उपाध्यक्ष मनोज यादव, व्यास दयाशंकर त्रिपाठी, केवल कुशवाहा, श्यामसुंदर सिंह, और निखिल त्रिपाठी ने किया।

कहा जाता है कि केवट अपने पूर्व जन्म में क्षीरसागर का एक कछुआ था और वह नारायण की चरण सेवा करना चाहता था, लेकिन लक्ष्मी जी और शेषनाग ने उसे रोका था। आज वही केवट, सरयू नदी के किनारे भगवान राम की चरण सेवा कर रहा है, जबकि लक्ष्मी माता सीता जी के रूप में और शेषनाग लक्ष्मण के रूप में उनके साथ हैं।

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