नई दिल्ली, 3 मई 2025
भारतीय वायुसेना और नौसेना को जल्द ही एक बड़ी सामरिक ताकत मिलने जा रही है। अब राफेल लड़ाकू विमानों में अत्याधुनिक ब्रह्मोस-NG (नेक्स्ट जेनरेशन) सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल को तैनात किया जाएगा। इस मिसाइल की रफ्तार 4170 किमी/घंटा (Mach 3.5) और मारक क्षमता 290 किलोमीटर है, जिससे यह बिना सीमा लांघे दुश्मन के किसी भी ठिकाने को पलभर में तबाह कर सकती है।
डिसाल्ट एविएशन ने भारतीय मिसाइल प्रणाली को राफेल फाइटर जेट में एकीकृत करने की मंजूरी दे दी है। यह फैसला ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को नई गति देगा और देश की रणनीतिक स्वतंत्रता को मजबूत करेगा।
ब्रह्मोस-NG ब्रह्मोस मिसाइल का हल्का और उन्नत वर्जन है। इसका वजन लगभग 1.5 टन है, जो मूल ब्रह्मोस से करीब 50% कम है। इसके हल्के और कॉम्पैक्ट डिज़ाइन की वजह से इसे तेजस, मिराज, सुखोई-30MKI जैसे अन्य फाइटर जेट्स से भी दागा जा सकेगा।
इसकी सटीकता इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम और GPS/GLONASS तकनीक पर आधारित है। इसका स्टील्थ डिजाइन इसे दुश्मन के रडार से बचने में सक्षम बनाता है। एक फाइटर जेट दो ब्रह्मोस-NG मिसाइलों को साथ ले जा सकता है, जिससे एक ही मिशन में दो अलग-अलग ठिकानों पर हमला संभव होगा।
सेना, नौसेना और वायुसेना—तीनों के लिए यह मिसाइल उपयोगी होगी। इसे एयर-लॉन्च, लैंड-बेस्ड और शिप-बेस्ड तीनों संस्करणों में तैयार किया जा रहा है। 2026 में इसका पहला परीक्षण होगा और इसका उत्पादन लखनऊ में बन रहे ब्रह्मोस प्रोडक्शन सेंटर में किया जाएगा। यह आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा कदम साबित होगा।