
मयंक चावला
लखनऊ, 20 मई 2025:
उम्र के आख़िरी पड़ाव पर जहां माँ-बाप अपने बच्चों के सहारे की उम्मीद करते हैं, वहीं यूपी के आगरा के अवधपुरी निवासी एक बुज़ुर्ग दंपत्ति के लिए उनका बेटा ही सबसे बड़ा दुःख बन गया है। वाटरवर्क्स स्थित अतिथिवन होटल में रोते हुए माता-पिता ने जब अपनी आपबीती सुनाई, तो वहां मौजूद हर शख्स की आंखें नम हो गईं।
गोपाल बाबू शर्मा, जो कि प्रतापनगर स्थित डाकघर में सरकारी कर्मचारी रह चुके हैं, ने बताया कि उन्होंने अपनी पूरी ज़िंदगी की कमाई और बैंक से लिया गया कर्ज़ लगाकर एक घर खरीदा, ताकि बेटे अंचित उर्फ इलू शर्मा और बहू के साथ सुकून से जीवन बिताया जा सके। लेकिन वही बेटा अब उन्हें घर से निकाल चुका है, बैंक अकाउंट से पैसे निकालकर उन्हें कर्ज़दार बना दिया है और आए दिन जान से मारने की धमकियाँ दे रहा है।
उनकी पत्नी रागनी शर्मा का कहना है, “हम दो साल से किराए के मकान में रह रहे हैं। मेरे पति बीमार रहते हैं, लेकिन बहू हर रोज़ दहेज के केस में फँसाने की धमकी देती है। घर में मारपीट आम बात हो चुकी है। बेटे-बहू ने हमारी ज़िंदगी नर्क बना दी है।”
बुज़ुर्ग पिता गोपाल बाबू की पीड़ा शब्दों में नहीं समा सकती। वो कहते हैं, “हमने उसे बेदखल कर दिया है, लेकिन फिर भी वह मकान पर ज़बरदस्ती का हक जताता है। 14 हज़ार रुपए की होम लोन की किस्त आज भी मैं भर रहा हूँ। अब अपमान और मारपीट सहन नहीं होती। ऐसा लगता है जैसे किसी दिन वो हमारी हत्या करवा देगा।”
इनकी फरियाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जनसुनवाई पोर्टल के ज़रिए की गई है। लेकिन सवाल ये है कि क्या एक माँ-बाप को बुढ़ापे में सिर छुपाने के लिए भीख मांगनी पड़ेगी? जिन हाथों ने बेटे को चलना सिखाया, उन्हीं हाथों को अब डर के मारे थरथराते देखा जा रहा है।
यह घटना न केवल सामाजिक चेतना को झकझोरती है, बल्कि यह भी सवाल उठाती है कि क्या वाकई हम ‘बुजुर्गों का सम्मान’ जैसे आदर्शों पर टिके हुए हैं या अब ये बातें सिर्फ किताबों में रह गई हैं?






