नई दिल्ली, 30 जुलाई 2025:
जम्मू-कश्मीर के बारामुला से निर्दलीय सांसद इंजीनियर राशिद ने संसद में अपनी मौजूदगी को लेकर आर्थिक मजबूरी जताई है। ऑपरेशन सिंदूर पर लोकसभा में बहस के दौरान राशिद ने कहा कि यह उनकी आखिरी बहस हो सकती है क्योंकि वे संसद आने-जाने का खर्च नहीं उठा सकते।
फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद इंजीनियर राशिद को अदालत ने 24 जुलाई से 4 अगस्त तक के लिए कस्टडी पैरोल दी है। इस दौरान उन्हें संसद की कार्यवाही में शामिल होने की अनुमति दी गई, लेकिन शर्त यह है कि संसद तक की यात्रा, सुरक्षा और अन्य तमाम खर्चों की जिम्मेदारी खुद सांसद की होगी।
राशिद ने कहा, “मैं डेढ़ लाख रुपये खर्च करके आज संसद आया हूं। मेरे पास हर दिन का इतना खर्च उठाने की हैसियत नहीं है। शायद आज मेरी आखिरी बहस हो।” अदालत ने उनके संसद आने-जाने पर होने वाले खर्च को लेकर करीब 1.5 लाख रुपये प्रतिदिन का अनुमान लगाया है।
बता दें कि इंजीनियर राशिद को एनआईए ने टेरर फंडिंग मामले में गिरफ्तार किया था और वे जेल से ही लोकसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। संसद में बहस के दौरान उन्होंने कहा, “ऑपरेशन सिंदूर मेरे संसदीय क्षेत्र का मामला है। वहां के लोगों की आवाज संसद में उठाना मेरा हक है। इसलिए मुझे बोलने दिया जाए।”
उन्होंने पहलगाम हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि कश्मीरियों ने 1989 से अब तक हजारों लोगों को खोया है। हम लाशें उठाते-उठाते थक चुके हैं, इस दर्द को हमसे बेहतर कोई नहीं समझ सकता। उन्होंने इस हमले को ‘इंसानियत का कत्ल’ बताया।
इंजीनियर राशिद का यह बयान संसद में भावनात्मक क्षण बन गया, जहां उन्होंने साफ कहा कि आर्थिक बोझ के कारण वे अब संसद नहीं आ पाएंगे।