
नई दिल्ली, 14 जुलाई 2025
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रस्तावित “गोल्ड कार्ड इमिग्रेशन प्रोग्राम” ने अमीर भारतीयों के बीच जबरदस्त दिलचस्पी पैदा कर दी है। यह योजना खासकर हाई-नेट-वर्थ इंडिविजुअल्स (HNIs) यानी बेहद अमीर लोगों और निवेशकों को ध्यान में रखकर बनाई गई है। हालांकि यह योजना अभी आधिकारिक रूप से लॉन्च नहीं हुई है, लेकिन भारत समेत मिडिल ईस्ट और अन्य देशों में रह रहे भारतीय इसको लेकर पहले से ही जानकारी जुटाने में लगे हैं। इमिग्रेशन विशेषज्ञों के अनुसार अमेरिका में रह रहे 28 से 45 वर्ष के बीच के टेक्नोलॉजी, फाइनेंस और हेल्थकेयर सेक्टर से जुड़े प्रोफेशनल्स इसमें विशेष रुचि दिखा रहे हैं।
इस प्रस्तावित योजना के तहत $5 मिलियन यानी लगभग ₹40 करोड़ का निवेश कर अमेरिका में स्थायी निवास प्राप्त किया जा सकता है। लॉन्च के कुछ ही दिनों में इस योजना ने 70,000 से ज्यादा रजिस्ट्रेशन बटोर लिए हैं। दावीज़ एंड एसोसिएट्स इमिग्रेशन लॉ फर्म की कंट्री हेड सुकन्या रमन के अनुसार, करीब 50% इंटरेस्ट मिडल ईस्ट और अन्य अमीर देशों में बसे भारतीयों से आ रहा है। वहीं इमिग्रेशन वकील प्राची शाह के हवाले से बताया गया कि भारत से भी खासतौर पर टेक, फाइनेंस और हेल्थ सेक्टर के प्रोफेशनल्स की ओर से पूछताछ हो रही है।
हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि यह योजना अभी केवल एक मार्केटिंग रणनीति जैसी प्रतीत होती है क्योंकि इसका कोई ठोस वैधानिक या कानूनी ढांचा मौजूद नहीं है। फिलहाल ट्रंप गोल्ड कार्ड की वेबसाइट पर केवल एक नोटिफिकेशन फॉर्म उपलब्ध है, जिसमें इच्छुक लोग रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं ताकि भविष्य में योजना की शुरुआत की सूचना मिल सके।
ग्लोबल नॉर्थ रेसिडेंसी एंड सिटिजनशिप के फाउंडर रजनीश पाठक के अनुसार, क्लाइंट्स यह पूछताछ कर रहे हैं कि यह योजना मौजूदा EB5 वीजा प्रोग्राम को कैसे प्रभावित करेगी। उन्होंने कहा कि फिलहाल EB5 अभी भी चालू और प्रभावी है, और जब तक गोल्ड कार्ड योजना में टैक्स से जुड़ी स्पष्ट छूट नहीं आती, तब तक इसकी सफलता संभव नहीं लगती।
ET की एक रिपोर्ट के मुताबिक यह भी चर्चा है कि गोल्ड कार्ड के आने से EB5 वीजा बंद हो सकता है, जिससे निवेश की कम राशि होने के चलते लोग तेजी से EB5 के लिए अप्लाई कर रहे हैं। कुल मिलाकर ट्रंप की यह गोल्डन वीजा योजना अमीर भारतीयों के बीच नया उत्साह तो जगा रही है, लेकिन इसकी असलियत और प्रभावशीलता पर अभी कानूनी मुहर लगना बाकी है।