
पटना, 8 अगस्त 2025
बिहार विधानसभा चुनाव की सियासी फिजा इस बार कुछ अलग नजर आ रही है। लंबे समय से जातीय समीकरणों पर आधारित राज्य की राजनीति में इस बार चुनाव आयोग की कथित धांधली, विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया और बांग्लादेशी घुसपैठ जैसे मुद्दे चर्चा के केंद्र में हैं।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने चुनाव आयोग पर पक्षपात और भाजपा से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए वोट चोरी की बात कही है। तेजस्वी यादव ने SIR की प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए बिहार बंद और चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी थी। अब राहुल गांधी 17 अगस्त से राज्य में यात्रा शुरू करने जा रहे हैं, जिसमें ये मुद्दे जोरशोर से उठाए जाएंगे।
वहीं केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन आरोपों पर पलटवार करते हुए कहा है कि बांग्लादेशी घुसपैठिए न केवल मतदाता सूची में शामिल किए जा रहे हैं, बल्कि वे बिहार के युवाओं का रोजगार भी छीन रहे हैं। शाह ने राहुल और तेजस्वी पर वोटबैंक की राजनीति करने का आरोप लगाया है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लगातार कल्याणकारी घोषणाओं से चुनावी माहौल साधने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी बिहार में विकास योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास कर रहे हैं।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार जातीय मुद्दे हावी नहीं हैं। मतदाता अब प्रदर्शन, पारदर्शिता और शासन के आधार पर विकल्प तलाश रहे हैं। पत्रकार ओमप्रकाश अश्क के अनुसार नीतीश कुमार ने बीते दो दशकों में जातीय समीकरणों से परे वोट बटोरने में सफलता पाई है।
प्रशांत किशोर की राजनीति भी राज्य के युवाओं को नई दिशा दे रही है। वे शिक्षा, रोजगार और पलायन जैसे मुद्दों को सामने ला रहे हैं, जिससे चुनावी विमर्श में बदलाव साफ दिख रहा है।
बिहार की चुनावी जमीन पर अब जाति के अलावा शासन, पारदर्शिता और घुसपैठ जैसे मुद्दों ने मजबूती से जगह बना ली है। हालांकि बदलाव कितना स्थायी है, यह आने वाले चुनाव नतीजों से स्पष्ट होगा।






