
मैनपुरी, 18 मार्च 2025:
फिरोजाबाद जिले के चर्चित दिहुली सामूहिक हत्याकांड में 44 साल बाद न्यायालय का फैसला आ गया। मैनपुरी जिला कोर्ट ने मंगलवार को तीन दोषियों रामसेवक, कप्तान सिंह और रामपाल को फांसी की सजा सुनाई। उन पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया।

डकैतों ने 24 लोगों की बेरहमी से की थी हत्या
18 नवंबर 1981 को फिरोजाबाद जिले के जसराना थाना क्षेत्र के दिहुली गांव में संतोष सिंह उर्फ संतोषा और राधेश्याम उर्फ राधे के डकैत गिरोह ने दलित समाज पर हमला कर बच्चों और महिलाओं समेत 24 लोगों की गोलियां मारकर हत्या कर दी थी। इस नरसंहार ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया था।
कोर्ट ने हत्याकांड को बताया ‘जघन्य अपराध’, 13 आरोपियों की हो चुकी मौत
मंगलवार दोपहर बाद अपर सत्र न्यायाधीश इंदिरा सिंह ने फैसला सुनाते हुए कहा कि दोषियों को गर्दन में फांसी लगाकर तब तक लटकाया जाए जब तक उनकी मृत्यु न हो जाए। मामले में कुल 20 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई थी, जिनमें से 13 की मौत हो चुकी है, जबकि चार अब भी फरार हैं। अदालत ने फरार आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए स्थाई वारंट जारी किया है।
प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री भी पहुंचे थे दिहुली
हत्याकांड के बाद प्रदेश और केंद्र सरकार हिल गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, गृहमंत्री वीपी सिंह, मुख्यमंत्री नारायण दत्त तिवारी और विपक्ष के नेता अटल बिहारी वाजपेयी पीड़ित परिवारों से मिलने गांव पहुंचे थे।
गवाही और मुखबिरी बना था नरसंहार का कारण
मामले की जांच में सामने आया कि डकैतों के गिरोह की मुखबिरी और गवाही की वजह से अपराधियों ने बदले की भावना से हमला किया। हमलावर पुलिस की वर्दी में आए थे और हथियारों से लैस होकर दलित समाज के लोगों को गोलियों से भून दिया।
गांव छोड़ गए ज्यादातर पीड़ित परिवार
इस हत्याकांड के बाद अधिकांश पीड़ित परिवारों ने गांव छोड़ दिया। उस भयानक रात को छिपकर अपनी जान बचाने वाली 90 वर्षीय जयदेवी का कहना है कि हम अपने परिवार को खोने का दर्द कभी नहीं भूल सकते। इंसाफ मिलने में बहुत देर हो गई।
अब भी फरार हैं चार आरोपी
इस नरसंहार के चार आरोपी अब भी फरार हैं। पुलिस उनकी तलाश में है और कोर्ट ने उनके खिलाफ स्थाई वारंट जारी कर दिया है।







