पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने वाराणसी कार्यक्रम के दौरान तिरुपति प्रसाद विवाद पर चिंता जताई

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वाराणसी, 22 सितंबर:


अंशुल मौर्य,


भारत दुनियाभर में अपनी आस्था और यहां मौजूद धार्मिक स्थलों के लिए मशहूर हैं। यह एक ऐसा देश है, जहां आसमान छूते मंदिर और शिवालय हर तरफ देखने को मिलते हैं। ऐसे में अगर इसे मंदिरों और देवताओं की भूमि कहा जाए, तो यह अतिश्योक्ति नहीं होगी। यहां सभी धर्मों के कई मशहूर आध्यात्मिक स्थल मौजूद हैं, जिनके दर्शन करने दूर-दूर से लोग भारत देश में आते हैं। आंध्र प्रदेश स्थित तिरुपति बालाजी का मंदिर इन्हीं में से एक है, जो दुनियाभर में काफी प्रसिद्ध है। हाल ही में यह मंदिर अपने प्रसाद को लेकर विवादों में घिर गया है। तिरुपति बालाजी के प्रसादम में आपत्तिजनक पदार्थों के मिलावट का मुद्दा तूल पकड़ चुका है। इस पर पूर्व राष्ट्रपति ने भी अपनी बात को रखते हुए आपत्ति जाहिर की है। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने बीएचयू में शनिवार को तिरुमला तिरुपति को लेकर बड़ा बयान दिया। कहा कि तिरुमला तिरुपति जैसी घटनाएं प्रसाद के प्रति शंका पैदा करती है। ऐसा करना महापाप है। शास्त्रों में भी इसे पाप की संज्ञा दी गयी है। यह आस्थावानों पर चोट है। वह शताब्दी कृषि विज्ञान प्रेक्षागृह में आयोजित दो दिवसीय ‘भारतीय गाय, जैविक कृषि एवं पंचगव्य चिकित्सा’ विषयक राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करने के पश्चात उपस्थित लोगों को संबोधित कर रहे थे।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि कल मेरे पास बाबा विश्वनाथ का प्रसाद आया, तब मेरे मन में तिरुपति में प्रसाद की घटना याद आई। मैं बाबा विश्वनाथ से माफी चाहता हूं कि इस बार उनका दर्शन नहीं कर पाया, लेकिन अगली बार करूंगा। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि कल रात मेरे कुछ सहयोगी बाबा विश्वनाथ धाम गए थे। रात में मुझे बाबा का प्रसादम दिया तो मेरे मन में तिरुमाला की घटना याद आई और मेरे मन में थोड़ा खटका लगा। मैंने बाबा विश्वनाथ से कान पकड़कर माफी मांगी कि इस बार मैं आपका दर्शन नहीं कर पाया। लेकिन, बाबा विश्वनाथ के प्रसादम में हर किसी का अटूट भरोसा और श्रद्धा है। पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि इसमें कितना क्या है, उस पर जाना नहीं चाहता, लेकिन ये देश के हर मंदिर की कहानी हो सकती है। हर तीर्थ स्थल में ऐसी घटिया मिलावट हो सकती है। हिंदू धर्म के अनुसार ये बहुत बड़ा पाप है। इसकी हर मंदिरों में ढंग से जांच होनी चाहिए।

पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि तिरुपति प्रसादम का मामला बहुत ही चिंताजनक है। मैं प्रसादम के पॉलिटिकल एंगल पर नहीं जा रहा हूं। लेकिन मैं कहना चाहता हूं कि प्रसाद के प्रति हिंदुओं में जो श्रद्धा होती है। उसमें शंका उत्पन्न होती है। हिन्दू शास्त्रों में इसे पाप कहा गया है। उन्होंने कहा कि प्रसाद से छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए, इससे लोगों का आस्था उठ जाएगा। उन्होंने कहा कि कहीं तिरुपति की तरह देश के दूसरे कई मंदिरों में तो ऐसा नहीं है। मेरे मन में बार-बार ये खयाल आ रहा था। पूर्व राष्ट्रपति ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें अपनी सोच बदलने की जरूरत है। कई किसान खुद के लिए जैविक खेती और दूसरे की खातिर अधिक उपज के लिए कीटनाशक का उपयोग करते हैं। इससे वे खुद भी सुरक्षित नहीं रह पाएंगे। उन्होंने कहा कि हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति को बचाना चाहिए। उन्होंने देश के हर परिवार से गौ पालन की अपील की। संगोष्ठी का उद्घाटन पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दीप प्रज्वलन कर किया। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कुलगीत सुना। इस दौरान आईएमएस के डायरेक्टर प्रो. एसएन संखवार ने उनका स्वागत किया।

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