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Bihar

बिहार में कई स्थानों पर गंगा का जल नहाने लायक नहीं : विधानसभा में पेश आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में खुलासा

ankit vishwakarma
Last updated: March 3, 2025 4:12 pm
ankit vishwakarma 7 months ago
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पटना, 3 मार्च 2025

बिहार आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 के अनुसार, बिहार में गंगा नदी का पानी “जीवाणुजनित आबादी” के उच्च स्तर की उपस्थिति के कारण राज्य के अधिकांश स्थानों पर स्नान के लिए उपयुक्त नहीं है। अधिकारियों ने बताया कि बिहार राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (बीएसपीसीबी) राज्य में 34 स्थानों पर गंगा के पानी की गुणवत्ता की हर पखवाड़े निगरानी करता है।

हाल ही में राज्य विधानसभा में पेश किए गए आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार, “गंगा के पानी की गुणवत्ता में जीवाणुओं की संख्या (कुल कोलीफॉर्म और फेकल कोलीफॉर्म) की उच्च मात्रा की मौजूदगी का संकेत मिलता है। यह मुख्य रूप से गंगा और उसकी सहायक नदियों के किनारे बसे शहरों से निकलने वाले सीवेज/घरेलू अपशिष्ट जल के कारण है।” सर्वेक्षण में बीएसपीसीबी के नवीनतम जल गुणवत्ता परीक्षण परिणामों का हवाला दिया गया है।

इसमें कहा गया है, “अन्य पैरामीटर…पीएच (अम्लता या क्षारीयता), घुलित ऑक्सीजन और जैव-रासायनिक ऑक्सीजन मांग (बीओडी) नदी और बिहार में उसकी सहायक नदियों में निर्धारित सीमा के भीतर पाए गए हैं, जो दर्शाता है कि पानी जलीय जीवन, वन्यजीव प्रजनन, मत्स्य पालन और सिंचाई के लिए उपयुक्त है।”

नदी के तट पर स्थित महत्वपूर्ण शहरों में बक्सर, छपरा (सारण), दिघवारा, सोनपुर, मनेर, दानापुर, पटना, फतुहा, बख्तियारपुर, बाढ़, मोकामा, बेगुसराय, खगड़िया, लखीसराय, मनिहारी, मुंगेर, जमालपुर, सुल्तानगंज, भागलपुर और कहलगांव शामिल हैं।

रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए बीएसपीसीबी के अध्यक्ष डीके शुक्ला ने पीटीआई को बताया कि गंगा नदी में जीवाणुओं की अधिक संख्या की मौजूदगी चिंता का विषय है।

शुक्ला ने कहा, “फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया मल में पाए जाते हैं, जो अनुपचारित सीवेज के माध्यम से पानी को दूषित करते हैं। इसका स्तर जितना अधिक होगा, पानी में रोग पैदा करने वाले रोगाणुओं की उपस्थिति उतनी ही अधिक होगी। सीपीसीबी मानकों के अनुसार, फेकल कोलीफॉर्म की स्वीकार्य सीमा 2,500 एमपीएन/100 मिली है।” उन्होंने कहा कि अधिकांश स्थानों पर गंगा में टोटल कोलीफॉर्म और फेकल कोलीफॉर्म की उपस्थिति बहुत अधिक है, जो दर्शाता है कि यह स्नान के लिए उपयुक्त नहीं है।

वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीएसपीसीबी यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठा रहा है कि राज्य में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) ठीक से काम करें। शुक्ला ने कहा, “हमने संबंधित अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि राज्य में कुछ एसटीपी का निर्माण कार्य जल्द से जल्द पूरा हो।”

सर्वेक्षण में कहा गया है, “बीएसपीसीबी औद्योगिक इकाइयों के साथ-साथ एसटीपी/सीवरेज नालियों से उत्पन्न अपशिष्ट/सीवेज की गुणवत्ता की भी निगरानी कर रहा है। वर्तमान में बोर्ड द्वारा विभिन्न स्रोतों से 2,561 जल/अपशिष्ट/सीवेज के नमूने एकत्र किए गए हैं।”

पीटीआई द्वारा प्राप्त गंगा की गुणवत्ता से संबंधित बीएसपीसीबी के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, कच्ची दरगाह-बिदुपुर ब्रिज पर मापा गया फेकल कोलीफॉर्म का स्तर 3,500 एमपीएन/100 मिली, गुलाबी घाट (5,400 एमपीएन/100 मिली), त्रिवेणी घाट (5,400 एमपीएन/100 मिली), गायघाट (3,500 एमपीएन/100 मिली), केवाला घाट (5,400 एमपीएन/100 मिली), गांधी घाट, एनआईटी (3,500 एमपीएन/100 मिली) और हाथीदह (5,400 एमपीएन/100 मिली) था।

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