
अंशुल मौर्य
वाराणसी, 3 अगस्त 2025 :
यूपी की शिवनगरी काशी गंगा के बदले तेवरों से कराह उठी है। लगातार बढ़ते जलस्तर से पानी अब घाटों को लांघकर रिहायशी इलाकों की ओर तेजी से बढ़ रहा है। विशेषज्ञों की मानें तो गंगा का मौजूदा जलस्तर 1978 के ऐतिहासिक बाढ़ के रिकॉर्ड को तोड़ने के बेहद करीब है। इन हालातों पर अलर्ट अफसर राहत शिविर में टिके लोगों की सुविधा का ख्याल रख रहे हैं तो सुरक्षा के लिए व्यवस्था पर भी नजर जमाएं हैं।
वार्निंग लेवल पार कर चुका गंगा का जलस्तर लगातार बढ़ता जा रहा है। लोगों का कहना है कि ऐसा नजारा 1978 में दिखाई दिया था। आज फिर वही दृश्य दिख रहा है। शहर के कई प्रमुख घाट, जहां कभी श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाते थे, अब पूरी तरह जलमग्न हो चुके हैं। निचले इलाकों में पानी का रिसाव शुरू हो गया है, जिससे स्थानीय लोगों में दहशत का माहौल है। गंगा आरती के लिए प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट सहित कई अन्य घाटों पर आवागमन सीमित कर दिया गया है। प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर लोगों से नदी के किनारे न जाने की अपील की है। जिला प्रशासन और एनडीआरएफ की टीमें किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए अलर्ट मोड पर हैं। गंगा के इस विकराल रूप ने जहां श्रद्धा को सजगता में बदला है, वहीं शहरवासियों से सतर्कता और सहयोग की अपेक्षा की जा रही है।
जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने रविवार को सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज हुकुलगंज, चित्रकूट कॉन्वेंट इंटरमीडिएट कॉलेज और प्राथमिक विद्यालय सरैया में राहत शिविरों की व्यवस्था का मुआयना किया। उन्होंने घरों की ऊपरी मंजिलों पर रह रहे परिवारों को राहत किट प्रदान करने और शिविरों में पुरुष व महिला सिपाहियों की तैनाती करने का निर्देश दिया। चित्रकूट कॉन्वेंट में भोजन की गुणवत्ता और स्टोर रूम की व्यवस्था की जांच के बाद डीएम ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का हवाई जायजा भी लिया। उन्होंने राहत शिविरों में बच्चों से बातचीत की और उन्हें मिठाई व बिस्किट वितरित किए। जिलाधिकारी ने आर के लॉज में रुके बाढ़ प्रभावित लोगों को यूनाइटेड पब्लिक स्कूल में स्थानांतरित करने और सभी शिविरों में जनरेटर के माध्यम से वैकल्पिक प्रकाश व्यवस्था सुनिश्चित करने का आदेश दिया।