
हरेन्द्र दुबे
गोरखपुर,5 मार्च 2025:
- 2025 की होली के लिए विकास और संस्कृति के प्रतीक बने थीम्ड पिचकारियों की बाजारों में खासी चहल-पहल
होली का पावन पर्व आने वाला है और शहर की बाजारें रंग-गुलाल के साथ-साथ अनूठे अंदाज में सज चुकी हैं। इस बार बाजारों में पारंपरिक सामग्री के अलावा “विकास” और “पॉप कल्चर” से प्रेरित थीम्ड पिचकारियों की धूम है। योगी आदित्यनाथ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चित्र वाली ‘हैमर’ पिचकारी, काशी विश्वनाथ धाम के त्रिशूल की डिज़ाइन, ‘भाभी’ के बेलन नुमा पिचकारी और साउथ की सुपरहिट फिल्म ‘पुष्पा 2’ के डायलॉग “चलेगी कुल्हाड़ी, बनेगी दिहाड़ी” वाली पिचकारियां ग्राहकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई हैं।
विकास के प्रतीक बने योगी-मोदी की हैमर वाली डिजाईन
दुकानों में सजी ‘हैमर वाली पिचकारी’ पर योगी और मोदी के चित्र 2025 में उत्तर प्रदेश और देश के विकास के प्रतीक के तौर पर देखे जा रहे हैं। एक दुकानदार राजू यादव बताते हैं, “इस बार ग्राहकों की पहली पसंद ये थीम्ड पिचकारियां हैं। युवाओं को ‘हैमर’ वाली डिज़ाइन खासी पसंद आ रही है, क्योंकि इसे वे ‘डबल इंजन की सरकार’ के विकास से जोड़कर देख रहे हैं।”
भाभी की ‘बेलन’ और पुष्पा की ‘कुल्हाड़ी’ भी दमदार
महिलाओं और बच्चों के बीच ‘भाभी वाली बेलन पिचकारी’ खासी लोकप्रिय है। वहीं, सिनेमा प्रेमियों के लिए ‘पुष्पा 2’ के कुल्हाड़े वाली पिचकारी और उस पर लिखा डायलॉग “चलेगी हथोड़ी, बनेगी दिहाड़ी” ट्रेंड कर रहा है। एक ग्राहक सुमन देवी कहती हैं, “इस बार होली में मस्ती के साथ-साथ फिल्मी स्टाइल भी दिखाना है। ये पिचकारियां हंसी-मजाक का नया ज़रिया बन गई हैं।”
काशी विश्वनाथ का त्रिशूल: संस्कृति और आस्था का संगम
काशी विश्वनाथ धाम के त्रिशूल की डिज़ाइन वाली पिचकारियां भक्ति भाव के साथ होली की रंगत को जोड़ रही हैं। धार्मिक प्रतीकों को थीम बनाने के पीछे दुकानदारों का मानना है कि इससे त्योहार की पवित्रता भी बनी रहेगी।
दुकानदारों के चेहरे पर मुस्कान
बढ़ती खरीदारी से दुकानदारों के चेहरे खिले हुए हैं। होली से पहले ही इन अनोखी पिचकारियों की मांग ने व्यापारियों का मुनाफा बढ़ा दिया है। होलिका दहन तक बिक्री के और बढ़ने की उम्मीद है।
बाजारों की तस्वीरें गवाह हैं कि ग्राहकों ने रंगों की तैयारी शुरू कर दी है। युवा समूहों में योगी-मोदी वाली पिचकारियां लेते नजर आ रहे हैं, तो बच्चे ‘पुष्पा 2’ की कुल्हाड़ी वाली पिचकारियों से खेलने के लिए उत्सुक हैं।
गोरखपुर की होली इस बार सिर्फ रंगों का नहीं, बल्कि “विकास, संस्कृति और मनोरंजन” का अनूठा संगम है। ये थीम्ड पिचकारियां न केवल उत्सव की रौनक बढ़ा रही हैं, बल्कि स्थानीय व्यापार को भी गति दे रही हैं। 2025 की होली जब याद की जाएगी, तो गोरखपुर के इन रचनात्मक रंगों का ज़िक्र जरूर होगा!
होली मनाएं, पर पर्यावरण और सुरक्षा का भी ध्यान रखें। प्राकृतिक रंगों का इस्तेमाल करें और ज़रूरत से ज्यादा पानी बर्बाद न करें।






