
लखनऊ, 8 सितंबर 2025:
यूपी में शिक्षा की गुणवत्ता और छात्रों के भविष्य को देखते हुए योगी सरकार ने एक ऐतिहासिक कदम उठाया है। राजधानी लखनऊ से सटे बाराबंकी स्थित श्री रामस्वरूप मेमोरियल यूनिवर्सिटी (SRMU) में फर्जी कोर्स के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे छात्रों पर हुए लाठीचार्ज के बाद सरकार ने प्रदेश के सभी विश्वविद्यालयों, डिग्री कॉलेजों और शैक्षणिक संस्थानों में संचालित पाठ्यक्रमों की गहन जांच के आदेश दिए हैं।
इस फैसले के तहत सभी मंडलायुक्तों को अपने-अपने अधिकार क्षेत्र में एक विशेष जांच टीम गठित करने का निर्देश दिया गया है। इस टीम में एक वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी, एक पुलिस अधिकारी और एक शिक्षा विभाग के अधिकारी को अनिवार्य रूप से शामिल किया जाएगा। यह टीम संस्थानों में जाकर जमीनी स्तर पर मान्यता और प्रवेश प्रक्रिया की हकीकत का पता लगाएगी।
जांच के दौरान हर शैक्षणिक संस्थान से एक शपथ पत्र लिया जाएगा जिसमें उन्हें यह बताना होगा कि वे केवल उन्हीं पाठ्यक्रमों को चला रहे हैं, जिन्हें नियामक निकाय, विश्वविद्यालय या संबंधित बोर्ड से मान्यता प्राप्त है। संस्थानों को अपने सभी मान्यता प्राप्त कोर्सों की सूची और उनके मान्यता-पत्र भी प्रस्तुत करने होंगे। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि किसी भी छात्र को बिना मान्यता प्राप्त पाठ्यक्रम में दाखिला न दिया जाए।
जांच में कोई भी संस्थान अवैध प्रवेश या बिना मान्यता के कोर्स चलाता हुआ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, संस्थान को छात्रों द्वारा जमा की गई पूरी फीस ब्याज सहित वापस करनी होगी। सीएम योगी ने स्पष्ट किया है कि सरकार छात्रों के भविष्य के साथ किसी भी तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करेगी।
जांच टीम को 15 दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपनी होगी। मुख्यमंत्री ने कहा है कि यह जांच सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि छात्रों के भविष्य और शिक्षा की गुणवत्ता से जुड़ा एक संवेदनशील मुद्दा है। उन्होंने अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए हैं कि इस प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर कोई भी ढिलाई या लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी और मंडलायुक्त स्वयं इस पूरी प्रक्रिया की निगरानी करेंगे।






