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SC में टली चुनाव आयोग प्रमुख की नियुक्ति के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई, अब होली के बाद होगी सूचीबद्ध।

नई दिल्ली, 20 फरवरी 2025

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को 2023 कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) और चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्तियों के खिलाफ याचिकाओं को स्थगित कर दिया।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने संकेत दिया कि समय की कमी के कारण मामले को होली के अवकाश के बाद सूचीबद्ध किया जाएगा। हालांकि, मामले की सुनवाई के लिए कोई तारीख तय नहीं की गई। याचिकाकर्ता एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण मुद्दा है जिस पर तत्काल विचार करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि इस मामले में एक छोटा कानूनी प्रश्न शामिल है – क्या मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति के लिए 2023 के संविधान पीठ के फैसले का पालन किया जाना चाहिए, जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल होंगे या 2023 के कानून का पालन किया जाना चाहिए, जो मुख्य न्यायाधीश को पैनल से बाहर रखता है। अपराह्न करीब 3 बजे न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने भूषण से कहा कि वह विशेष पीठ में बैठेंगे और होली अवकाश से पहले न्यायालय में कई मामले सूचीबद्ध हैं।

भूषण ने मामले को आगामी सप्ताह में किसी भी दिन सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया और आश्वासन दिया कि याचिकाकर्ताओं को अपनी दलीलें पेश करने में एक घंटे से अधिक समय नहीं लगेगा। याचिकाकर्ता जया ठाकुर की ओर से पेश हुए वकील वरुण ठाकुर ने भी मामले की तत्काल सुनवाई का अनुरोध करते हुए कहा कि यह “लोकतंत्र के अस्तित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।”

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा कि न्यायालय के लिए सभी मामले समान रूप से महत्वपूर्ण हैं तथा कोई भी मामला अन्य से श्रेष्ठ नहीं है। इससे पहले, केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मुद्दे पर अदालत को संबोधित करने में असमर्थता व्यक्त करते हुए कहा कि वह मध्यस्थता के मुद्दे पर मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ के समक्ष उपस्थित होंगे।शीर्ष अदालत ने 18 फरवरी को कहा था कि वह 2023 के कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्तियों के खिलाफ याचिकाओं पर “प्राथमिकता के आधार” पर विचार करेगी। भूषण ने कहा कि सरकार 2023 के कानून के तहत नए मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करके “लोकतंत्र का मजाक” उड़ा रही है।

17 फरवरी को सरकार ने चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार को अगला मुख्य चुनाव आयुक्त नियुक्त किया। कुमार नए कानून के तहत नियुक्त होने वाले पहले मुख्य चुनाव आयुक्त हैं और उनका कार्यकाल 26 जनवरी, 2029 तक रहेगा, जिसके कुछ दिन बाद चुनाव आयोग अगले लोकसभा चुनाव की तिथि घोषित करेगा।

1989 बैच के हरियाणा कैडर के आईएएस अधिकारी विवेक जोशी को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया गया। 21 मई 1966 को जन्मे जोशी (58) 2031 तक चुनाव आयोग में काम करेंगे। कानून के अनुसार, मुख्य चुनाव आयुक्त या चुनाव आयुक्त 65 वर्ष की आयु में सेवानिवृत्त होते हैं, अथवा उनका चुनाव पैनल में कार्यकाल छह वर्ष तक हो सकता है। शीर्ष अदालत ने 12 फरवरी को 2023 के कानून के तहत मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई के लिए 19 फरवरी की तारीख तय की थी और कहा था कि अगर इस बीच कुछ भी हुआ तो उसके परिणाम भुगतने होंगे।

न्यायालय ने कहा कि इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय गुण-दोष के आधार पर किया जाएगा। भूषण ने 2023 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि इसमें कहा गया था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक स्वतंत्र पैनल द्वारा की जानी थी जिसमें प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश शामिल थे।

15 मार्च, 2024 को शीर्ष अदालत ने 2023 के कानून के तहत नए ईसी की नियुक्तियों पर रोक लगाने से इनकार कर दिया, जिसमें सीजेआई को चयन पैनल से बाहर रखा गया था और नियुक्तियों के खिलाफ याचिकाओं के एक बैच पर सुनवाई स्थगित कर दी थी। शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि 2 मार्च, 2023 के फैसले में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्य न्यायाधीश वाली तीन सदस्यीय समिति को संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक काम करने का निर्देश दिया गया था।

सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति कार्यपालिका के हाथों में छोड़ना देश के लोकतंत्र के स्वास्थ्य और स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए हानिकारक होगा। एनजीओ ने मुख्य न्यायाधीश के बहिष्कार को चुनौती दी और कहा कि स्वस्थ लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को “राजनीतिक” और “कार्यकारी हस्तक्षेप” से अलग रखा जाना चाहिए।

एडीआर की याचिका में आरोप लगाया गया कि केंद्र ने नए कानून के तहत चयन समिति के आधार और संरचना को हटाए बिना ही फैसले को खारिज कर दिया, जो नियुक्तियों में कार्यपालिका का अत्यधिक हस्तक्षेप है और चुनाव आयोग की स्वतंत्रता के लिए हानिकारक है।

नए कानून के तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली चयन समिति ने पूर्व आईएएस अधिकारी ज्ञानेश कुमार और सुखबीर संधू को 2024 में चुनाव आयुक्त नियुक्त करने की सिफारिश की थी।

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