
प्रयागराज, 27 जुलाई 2025:
यूपी में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने आर्य समाज सोसाइटी में हुई एक शादी को लेकर हुए विवाद में दायर याचिका पर सुनवाई के बाद एक अहम आदेश दिया है। आदेश में कहा गया है कि बिना धर्म बदले दूसरे धर्म के लोगों की शादी वैध नहीं मानी जाएगी। कोर्ट ने इसे कानून का उल्लंघन बताया है। साथ ही कोर्ट ने प्रदेश के गृह सचिव को उन आर्य समाज सोसायटियों की जांच कराने का निर्देश दिया है जो दूसरे धर्म के नाबालिग जोड़ों को शादी का प्रमाणपत्र दे रहीं हैं। मामले में 29 अगस्त तक आदेश पर हुए पालन की रिपोर्ट भी मांगी है।
महराजगंज जिले के युवक ने केस दर्ज होने पर दायर की थी याचिका
दरअसल पूरा मामला महाराजगंज जिले के निचलौल थाने में सोनू उर्फ सहनूर के खिलाफ अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज होने से शुरू हुआ था। इस मामले में आरोपी ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर मुकदमे पर सवाल उठाते हुए पूरी कार्यवाही निरस्त करने की मांग की है। कोर्ट में अधिवक्ता ने दलील दी कि पीड़िता से याची ने आर्य समाज मंदिर में शादी कर ली है और अब वह बालिग है। ऐसे में उसके खिलाफ आपराधिक कार्यवाही नहीं की जानी चाहिए। सरकारी अधिवक्ता ने इस दलील का विरोध करते हुए कहा कि युवक और युवती दोनों विपरीत धर्म के हैं और बिना धर्म परिवर्तन किए की गई शादी अवैध है। उन्होंने यह भी बताया कि याचिकाकर्ता ने न तो धर्म परिवर्तन किया है और न ही शादी पंजीकृत कराई है।

कोर्ट ने आर्य समाज समितियों पर शिकंजा कसने को कहा, गृह सचिव से मांगा हलफनामा
दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार की एकल पीठ ने अपना फैसला सुनाया। अपने फैसले में कोर्ट ने कहा कि आर्य समाज सोसायटियों की ओर से फर्जी शादियां कराने और नाबालिगों को शादी प्रमाणपत्र जारी करने के कई मामले सामने आए हैं। ये सोसायटियां कानून का उल्लंघन कर विवाह प्रमाणपत्र जारी कर रही हैं। ऐसे में इनकी जांच कर कार्रवाई की जानी चाहिए।कोर्ट ने नाबालिग लड़की का अपहरण कर आर्य समाज मंदिर में शादी करने वाले के खिलाफ आपराधिक केस की कार्यवाही रद्द करने से इन्कार कर दिया। साथ ही 29 अगस्त तक गृह सचिव से जांच रिपोर्ट के साथ व्यक्तिगत हलफनामा भी मांगा है।






