Uttar Pradesh

हाईकोर्ट का फरमान: आपत्तिजनक पोस्ट लिखना, शेयर करना जुर्म… लाइक करना नहीं

प्रयागराज, 21 अप्रैल 2025:

यूपी में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सोशल मीडिया के करोड़ों यूजरों को एक फरमान से थोड़ी राहत दी है। एक मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने आदेश में कहा है कि आपत्तिजनक पोस्ट लिखना और शेयर (प्रचारित) करना आपराधिक इरादे से जोड़ा जा सकता है लेकिन उसे केवल लाइक करना अपराध नहीं माना जा सकता है।

आगरा के युवक इमरान ने दायर की थी याचिका

दरअसल हाईकोर्ट में आगरा निवासी इमरान ने एक याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट इसी पर सुनवाई कर रहा था। इमरान के खिलाफ मंटोला थाने में केस दर्ज हुआ था। इमरान पर सोशल मीडिया पर भड़काऊ संदेश पोस्ट करने के साथ बिना अनुमति लोगों की भीड़ जुटने और शांति भंग की आशंका पैदा करने का आरोप लगा था। आईटी एक्ट के तहत इमरान के खिलाफ दर्ज केस में आगरा सीजेएम कोर्ट में आपराधिक कार्यवाही लंबित है। इमरान ने याचिका के जरिये इसे रद्द करने की गुहार लगाई थी। अब हाई कोर्ट ने इस आपराधिक कार्यवाही को रद्द करने का आदेश जारी किया है।

जस्टिस ने कहा, लाइक करना आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत नहीं आता

हाईकोर्ट के जस्टिस सौरभ श्रीवास्तव ने इसी मामले की सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि किसी भी पोस्ट को केवल लाइक करना आपराधिक कृत्य नहीं माना जा सकता है। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक कोई व्यक्ति किसी आपत्तिजनक पोस्ट को लिखता, शेयर या प्रचारित नहीं करता है, तब तक केवल ‘लाइक’ करने को उसके आपराधिक इरादे से नहीं जोड़ा जा सकता है। किसी अश्लील या भड़काऊ पोस्ट या संदेश को प्रकाशित तब माना जाएगा, जब उसे पोस्ट किया जाए। हाई कोर्ट ने कहा कि किसी पोस्ट को प्रसारित तब माना जाएगा, जब उसे शेयर या रीट्वीट किया जाए। कोर्ट ने कहा कि किसी पोस्ट को लाइक करना न तो प्रकाशन है और न ही प्रसारण। इसलिए यह आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत नहीं आता है।

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