
संतोष देव गिरि
मिर्जापुर, 16 दिसम्बर 2024:
आर्थिक तंगी और शोषण का सामना कर रहे आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए राहत की उम्मीद जगी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लखनऊ में मुलाकात के बाद राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद ने उनकी समस्याओं को जोरदार तरीके से उठाया है। इस दौरान आउटसोर्स कर्मचारियों के शोषण को रोकने, न्यूनतम मजदूरी निर्धारण और संगत नियमावली बनाने की मांग की गई।
आउटसोर्स कर्मचारियों की स्थिति:
उत्तर प्रदेश में 18 दिसंबर 2019 को जारी शासनादेश के तहत जेम पोर्टल के माध्यम से मैनपावर की व्यवस्था लागू है। बावजूद इसके, आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए अब तक कोई नियमावली जारी नहीं की गई है। न ही उनका न्यूनतम मानदेय तय किया गया है। सेवा प्रदाता एजेंसियां नियुक्ति से लेकर भुगतान तक आर्थिक और श्रम शोषण कर रही हैं। एजेंसियां नियुक्ति के समय कर्मचारियों से लाखों रुपये वसूलती हैं, समय पर मानदेय नहीं देतीं और निर्धारित मानदेय से कम भुगतान करती हैं।
राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद की मांगें:
प्रांतीय अध्यक्ष जेएन तिवारी के नेतृत्व में परिषद ने मुख्यमंत्री के सामने निम्नलिखित सुझाव रखे:
- आउटसोर्स कर्मचारी चयन आयोग का गठन: पद के अनुरूप योग्य उम्मीदवारों का चयन हो और सरकारी कार्यों में गुणवत्ता सुनिश्चित हो।
- संगत नियमावली का प्रख्यापन: 2019 के शासनादेश के तहत नियमावली में सेवा शर्तें, न्यूनतम मजदूरी और कल्याणकारी प्रावधान शामिल हों।
- न्यूनतम मजदूरी का निर्धारण:
o अकुशल: ₹783 प्रतिदिन, ₹20,358 प्रतिमाह
o अर्ध कुशल: ₹868 प्रतिदिन, ₹22,568 प्रतिमाह
o कुशल: ₹954 प्रतिदिन, ₹24,804 प्रतिमाह
o अत्यधिक कुशल: ₹1,035 प्रतिदिन, ₹26,910 प्रतिमाह
o तकनीकी और अन्य उच्च पदों के लिए समान अनुपात में मानदेय। - अन्य सुविधाएं: मकान किराया भत्ता, चिकित्सा सुविधा और बीमा जैसी सुविधाएं भी प्रदान की जाएं।
मुख्यमंत्री का आश्वासन:
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि आउटसोर्स कर्मचारियों का शोषण रोकने और उनकी न्योचित समस्याओं के समाधान के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएंगे। न्यूनतम मजदूरी निर्धारण और सेवा शर्तों की सुरक्षा के लिए जल्द कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
इस पहल से राज्य भर के हजारों आउटसोर्स कर्मचारियों को राहत मिलने की उम्मीद है।