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रूस से तेल नहीं खरीदेगा भारत तो कैसे चलेगी इकोनॉमी? ट्रंप की धमकी से खड़ा हुआ बड़ा सवाल

नई दिल्ली:यूक्रेन युद्ध के चलते अमेरिका और NATO की तरफ से रूस पर नए प्रतिबंधों की चेतावनी ने भारत के सामने बड़ा आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने साफ कर दिया है कि अगर रूस शांति समझौते के लिए तैयार नहीं होता तो उस पर 100% टैरिफ लगाया जाएगा और जो देश उससे तेल खरीदेंगे, उन पर भी यही सेकेंडरी टैक्स लागू होगा। NATO महासचिव मार्क रूटे ने भारत, चीन और ब्राज़ील को भी इस चेतावनी में शामिल किया है।

भारत इस समय रूस से भारी छूट पर तेल खरीद रहा है, जिससे उसे महंगाई नियंत्रित करने और आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद मिली है। भारत अपनी जरूरत का 85% से ज़्यादा कच्चा तेल आयात करता है और रूस फिलहाल भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता है, जिसकी हिस्सेदारी 35% से भी ज़्यादा है।

पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि भारत इन धमकियों से घबराने वाला नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर भारत रूसी तेल लेना बंद कर देता है तो ग्लोबल क्रूड की कीमतें 120–130 डॉलर प्रति बैरल तक जा सकती हैं। पुरी के मुताबिक, अमेरिका और NATO की यह चेतावनी एक रणनीति भी हो सकती है ताकि रूस पर दबाव बनाया जा सके।

विशेषज्ञों का मानना है कि यह ट्रंप की एक कूटनीतिक चाल भी हो सकती है, जिससे रूस को बातचीत की मेज़ पर लाया जाए। वहीं अगर भारत रूस से तेल नहीं खरीदता, तो उसे दूसरे महंगे विकल्प तलाशने होंगे, जिससे आम भारतीयों पर महंगाई का बोझ बढ़ेगा।

एक रिपोर्ट के अनुसार, कई यूरोपीय देश भी प्रतिबंध के बावजूद तीसरे देशों के जरिए रूस से तेल खरीद रहे हैं। ऐसे में भारत के सामने दुविधा है—क्या वह सस्ते तेल की आपूर्ति बनाए रखे या अमेरिका और NATO के साथ टकराव मोल ले?

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