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महंगाई की मार: पहले हरी सब्जी गायब, अब आलू, प्याज-टमाटर पर भी आफत

14 अक्टूबर 2024

हरी सब्जियों की महंगाई ने वैसे ही पहले से आम आदमी के किचन का बजट बिगाड़ रखा है कि अब लोगों की थाली से सलाद भी गायब होता जा रहा है. दरअसल, आसमान छूती टमाटर, प्याज और आलू की कीमतों के कारण लोगों ने हरी सब्जियों और इन चीजों के किराना कर लिया है. खुदरा बाजार में जहां आलू की कीमतें 40 रुपए किलो हैं वहीं टमाटर की कीमतें 100 रुपए किलो के पार जा चुकी हैं. यही हाल प्याज और अन्य बाकि हरी सब्जियों का भी है.

सरकार की कोशिशों के बावजूद नहीं कम हो रही कीमतें

सरकार ने सब्जियों की महंगाई पर काबू पाने के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं लेकिन बावजूद इसके सब्जियों के दाम रुकने का नाम ही नहीं ले रहे हैं. टमाटर, प्याज और आलू की वजह से महंगाई में भी बढ़ोतरी हुई है. खाद्य पदार्थों की महंगाई रिजर्व के लिए चुनौती बनती जा रही है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक में खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 45.9% है.

क्यों बढ़ रही हैं कीमतें?

टमाटर आलू प्याज की कीमतों के बढ़ने के पीछे कई कारण हैं. मौसम की मार इसमें बड़ा कारण है. बारिश के चलते आपूर्ति में कमी आई है. इसके अलावा स्टोरेज भी महंगाई बढ़ने का कारण है. बारिश और गर्मी के चलते हरी सब्जियों समेत टमाटर आलू की फसल प्रभावित हुई है. वहीं दूसरी तरफ कोल्ड स्टोर की कमी और दूसरे कारण से इनका स्टोरेज प्रभावित हुआ है. जिस कारण फसल खराब हो गई और मार्केट में नहीं जा सकी.मीडिया स्टडी में पता चला कि जिस मौसम में सब्जियों की पैदावार कम होती है, उस समय इनकी कीमतें बढ़ जाती हैं वहीं जिस मौसम में पैदावार ज्यादा होती है, उस दौरान कीमतें कम या लेवल पर होती हैं. उतार चढाव के कारण इनके रेट पर असर पड़ता है.

टमाटर का सबसे उत्पादक है भारत

रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, टमाटर, प्याज और आलू के प्रोडक्शन में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. बीते साल टमाटर का प्रोडक्शन 20.4 मिलियन मीट्रिक टन रहा था वहीं प्याज का उत्पादन 30.2 MMT और आलू 60.1 MMT होने का अनुमान है. दुनिया में भारत टमाटर का सबसे बड़ा और आलू का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है. भारत ने इस मामले में चीन को भी पीछे छोड़ दिया है.

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