
भोपाल, 30 जुलाई 2025
मध्य प्रदेश सरकार ने मंगलवार को राज्य विधानसभा को सूचित किया कि मध्य प्रदेश में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की औसतन 7 महिलाओं के साथ प्रतिदिन बलात्कार हो रहा है।विपक्षी विधायक आरिफ मसूद के एक सवाल के जवाब में राज्य सरकार ने बताया, “2022 से 2024 के बीच अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के साथ बलात्कार के कुल 7,418 मामले दर्ज किए गए।” इस आंकड़े के अनुसार, पिछले तीन सालों से हर दिन औसतन सात अनुसूचित जाति और जनजाति की महिलाओं के साथ बलात्कार हुआ है।
आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि इसी अवधि में इन समुदायों की 558 महिलाओं की हत्या कर दी गई, जबकि 338 पीड़ितों के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया। ये आंकड़े घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न के चिंताजनक रुझानों को भी उजागर करते हैं।
लगभग 1,906 अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की महिलाएं घरेलू हिंसा की शिकार हैं, जिसका अर्थ है कि हर दिन दो महिलाएं अपने ही घरों में घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं। इसके साथ ही यौन उत्पीड़न के 5,983 मामले भी दर्ज किए गए हैं, जिनमें लगभग पांच अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की महिलाओं को प्रतिदिन यौन उत्पीड़न का सामना करना पड़ता है।
पिछले तीन वर्षों में अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति की महिलाओं के विरुद्ध कुल 44,978 अपराध के मामले दर्ज किए गए हैं। इसका अर्थ है कि मध्य प्रदेश में इन हाशिए पर पड़े समुदायों की महिलाओं के विरुद्ध प्रतिदिन औसतन 41 अपराध की घटनाएँ हो रही हैं।
मध्य प्रदेश की कुल जनसंख्या का अनुमानतः 38% अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदायों से है। इसमें से 16% अनुसूचित जाति समुदायों से और 22% अनुसूचित जनजाति समुदायों से संबंधित हैं।






