नई दिल्ली | 25 अप्रैल 2025
पहलगाम आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव अपने चरम पर पहुंच चुका है। भारत ने पाकिस्तान पर आतंकवाद को समर्थन देने का आरोप लगाते हुए कड़े कदम उठाए हैं, जिनमें सिंधु जल संधि का निलंबन, पाकिस्तानी नागरिकों के वीज़ा रद्द करना और राजनयिक संबंधों में कटौती शामिल हैं। जवाब में पाकिस्तान ने शिमला समझौते को रद्द करने की धमकी दी है। ऐसे में यह सवाल उठ रहा है कि इस स्थिति में मुस्लिम देशों का झुकाव किस ओर होगा।
सऊदी अरब, यूएई, इंडोनेशिया और मिस्र जैसे बड़े मुस्लिम देश भारत के आतंकवाद विरोधी रुख को जायज मानते हैं। सऊदी अरब के साथ भारत के ऊर्जा सुरक्षा और निवेश के गहरे रिश्ते हैं। ‘विजन 2030’ में भारत सऊदी अरब का अहम साझेदार है। यूएई भारत का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है और वहां भारतीय कामगारों की बड़ी संख्या है। इन दोनों देशों के लिए भारत एक रणनीतिक और आर्थिक रूप से अनिवार्य साझेदार है।
इंडोनेशिया और मिस्र भी भारत के साथ समुद्री सुरक्षा, शिक्षा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग कर रहे हैं। अफगानिस्तान, जो पाकिस्तान से लंबे समय से असहज संबंध रखता आया है, खुलकर भारत के साथ आ सकता है, क्योंकि भारत ने वहां कई विकास परियोजनाएं चलाई हैं।
दूसरी ओर, तुर्की और कतर जैसे देश तटस्थ रहना चाहेंगे। तुर्की, जो पारंपरिक रूप से पाकिस्तान का समर्थक रहा है, अब भारत के साथ बढ़ते व्यापार और पर्यटन संबंधों को देखते हुए संतुलन बनाए रखना चाहेगा। कतर भी भारत के साथ गैस और ऊर्जा में गहरा सहयोग रखता है और वैश्विक मध्यस्थ की भूमिका निभाना चाहता है।
बांग्लादेश की भूमिका भी न्यूट्रल रहने की संभावना है, हालांकि उसके अंदरूनी राजनीतिक हालात फिलहाल भारत विरोधी बयानबाजी को बढ़ावा दे रहे हैं।
कुल मिलाकर, वैश्विक मंच पर इस बार भारत को आतंकवाद के मुद्दे पर ज्यादा समर्थन मिल रहा है, और पाकिस्तान की कूटनीतिक स्थिति कमजोर होती नजर आ रही है।