
विशाखापत्तनम, 8 जुलाई 2025
भारतीय नौसेना को जल्द ही एक नया सामरिक हथियार मिलने जा रहा है। 18 जुलाई को भारतीय नौसेना के बेड़े में अत्याधुनिक डाइविंग सपोर्ट वेसल (DSV) INS निस्तर को शामिल किया जाएगा। यह पोत न केवल आपातकालीन स्थिति में फंसी पनडुब्बियों को बचाने में सक्षम होगा, बल्कि भारत की अंडरवॉटर युद्ध क्षमता को भी और अधिक सशक्त बनाएगा।
INS निस्तर करीब 80% स्वदेशी तकनीक और सामग्री से निर्मित है। यह 120 मीटर लंबा और 9350 टन वजनी जहाज है, जिसमें 200 से अधिक नौसैनिकों के रहने की व्यवस्था है। इसकी सबसे खास विशेषता है डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (DSRV), जो 650 मीटर तक की गहराई में जाकर फंसे नौसैनिकों को सुरक्षित बाहर निकाल सकती है।
यह जहाज बिना बंदरगाह लौटे लगातार 60 दिनों तक समुद्र में अभियान चला सकता है। साथ ही इसमें हेलिकॉप्टर ऑपरेशन की सुविधा भी है, जो किसी भी आपदा या रेस्क्यू मिशन को गति देने में मददगार होगी।
INS निस्तर का ऐतिहासिक नाम भी खास है। 1971 की भारत-पाक जंग में जब पाकिस्तान की पनडुब्बी PNS गाजी को विशाखापत्तनम के पास नेस्तनाबूद किया गया था, तब उसी नाम के डाइविंग टेंडर ने अहम भूमिका निभाई थी। अब उसी नाम को नई तकनीक और नए कलेवर में पेश किया गया है।
इसके साथ ही INS निस्तर के जुड़वां जहाज INS निपुण को पश्चिमी तट पर तैनात किया जाएगा, जबकि INS निस्तर पूर्वी तट की जिम्मेदारी संभालेगा। इससे भारत की समंदर में पनडुब्बी रेस्क्यू क्षमता दोनों मोर्चों पर मजबूत हो जाएगी।
चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसियों द्वारा पनडुब्बी बेड़े में विस्तार को देखते हुए भारत की यह रणनीतिक तैयारी बेहद अहम मानी जा रही है। INS निस्तर न सिर्फ मेक इन इंडिया पहल का प्रतीक है, बल्कि आत्मनिर्भर भारत की ओर एक ठोस कदम भी है।