
टोक्यो, 21 जुलाई 2025
जापान में प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा को करारा राजनीतिक झटका लगा है। उनके नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ गठबंधन ने उच्च सदन के चुनावों में बहुमत हासिल करने में नाकामी के साथ 1955 के बाद पहली बार दोनों सदनों में बहुमत खो दिया है। यह नतीजा ऐसे समय आया है जब पहले ही गठबंधन ने अक्टूबर में निचले सदन का बहुमत खोया था, जिससे जापान की राजनीतिक स्थिरता को लेकर अनिश्चितता और बढ़ गई है।
इशिबा की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी (एलडीपी) और उसके सहयोगी कोमेइतो को उच्च सदन में बहुमत के लिए पहले से मौजूद 75 सीटों के अलावा 50 सीटें जीतनी थीं, लेकिन वे केवल 46 सीटें ही हासिल कर पाए। एलडीपी ने अकेले 38 सीटें जीतीं, जो अनुमान से थोड़ी बेहतर हैं, लेकिन कुल बहुमत से कम। इससे गठबंधन के पास अब दोनों सदनों में बहुमत नहीं रह गया।
हालांकि, जापान के संवैधानिक ढांचे के तहत ऊपरी सदन में अविश्वास प्रस्ताव लाने का अधिकार नहीं होता, इसलिए तुरंत सत्ता परिवर्तन की संभावना नहीं है, लेकिन इशिबा की नेतृत्व क्षमता और भविष्य पर सवाल जरूर खड़े हो गए हैं। पार्टी के भीतर से भी उनके इस्तीफे या गठबंधन पुनर्गठन की मांगें उठ सकती हैं।
इशिबा ने परिणामों के बाद कहा कि वह “नंबर एक पार्टी के नेता के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे और देश के लिए काम करते रहेंगे।” उन्होंने खराब प्रदर्शन की वजह महंगाई से निपटने में सरकार की विफलता को माना।
चुनाव में विपक्ष को खासा फायदा हुआ। मुख्य विपक्षी पार्टी सीडीपीजे को 26 सीटें मिलीं, जबकि डीपीपी और संसेतो जैसे छोटे दलों ने भी जबरदस्त प्रदर्शन किया। अब इशिबा सरकार के लिए संसद में विधेयक पास कराना और भी मुश्किल हो जाएगा और विपक्ष को रियायतें देनी पड़ सकती हैं।
इन परिणामों ने जापान की राजनीतिक दिशा और इशिबा के नेतृत्व को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।






