
नई दिल्ली | 16 जुलाई 2025
किसी दुकान, रेस्टोरेंट या मॉल में शॉपिंग करने के बाद अगर आपसे मोबाइल नंबर मांगा जाए तो यह जान लें कि नंबर देना आपकी मर्जी पर है, न कि कोई अनिवार्यता। उपभोक्ता मंत्रालय ने साल 2023 में इस संबंध में एक एडवाइजरी जारी कर स्पष्ट कर दिया था कि दुकानदार ग्राहक को फोन नंबर देने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। यह ग्राहक का उपभोक्ता अधिकार है कि वह निजी जानकारी साझा करे या नहीं।
अक्सर रिटेल स्टोर्स, कैफे या सिनेमाघरों में बिलिंग, ऑफर या फीडबैक के बहाने ग्राहकों से मोबाइल नंबर मांगा जाता है। लोग बिना किसी झिझक के नंबर शेयर कर देते हैं, लेकिन बाद में उन्हें अनचाहे प्रचार या साइबर जोखिमों का सामना करना पड़ता है। मंत्रालय ने यह भी कहा है कि फोन नंबर न देने पर किसी ग्राहक को सेवा से वंचित करना या उत्पाद न बेचना गैरकानूनी है।
एडवाइजरी में आईटी अधिनियम की धारा 72-A का हवाला भी दिया गया है, जिसके तहत ग्राहक की अनुमति के बिना उसकी व्यक्तिगत जानकारी जैसे मोबाइल नंबर को किसी अन्य व्यक्ति या संस्था को देना एक दंडनीय अपराध है। ऐसे मामलों में डेटा बेचने वाले विक्रेता पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
इस एडवाइजरी के पीछे कई उपभोक्ताओं, खासकर महिलाओं की शिकायतें थीं, जो सार्वजनिक स्थानों पर फोन नंबर साझा करने को लेकर असहज महसूस करती थीं। मंत्रालय ने व्यापारिक प्रतिष्ठानों से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि ग्राहक की स्वैच्छिक सहमति से ही नंबर लिया जाए और उन्हें स्पष्ट रूप से बताया जाए कि नंबर देना वैकल्पिक है, अनिवार्य नहीं।
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों ने भी चेताया है कि मोबाइल नंबर एक संवेदनशील जानकारी है, जो बैंकिंग, सोशल मीडिया और ओटीपी आधारित सेवाओं से जुड़ी होती है। ऐसे में बिना सोच-समझे मोबाइल नंबर शेयर करना साइबर क्राइम का कारण बन सकता है।
सरकार की यह पहल उपभोक्ताओं की निजता को सुरक्षित करने की दिशा में एक अहम कदम है, जिसका पालन हर व्यवसाय को करना अनिवार्य है।






