घाघरा नदी 90 सेमी लाल निशान से ऊपर, दर्जनों गांवों में बाढ़ का पानी घुसा

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गोण्डा, 17 सितम्बर 2024

जिले में घाघरा और सरयू नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर पर पहुंच गया है। घाघरा नदी 90 सेमी लाल निशान से ऊपर बह रही है, जबकि सरयू नदी 60 सेमी ऊपर बह रही है। नदियों के जलस्तर में लगातार इजाफा हो रहा है, जिससे बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में लोगों की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। सोमवार सुबह नदियों का डिस्चार्ज घटकर तीन लाख क्यूसेक तक पहुंच गया, लेकिन जलस्तर में तेजी से उतार-चढ़ाव के कारण प्रभावित क्षेत्रों में कटान का खतरा भी बढ़ गया है।

तरबगंज के गढी गांव में बाढ़ के कारण सड़क के कट जाने की सूचना मिली है, जबकि भिखारीपुर बांध पर लगातार दबाव बना हुआ है। बाढ़ खंड के एक्सईएन जय सिंह ने बताया कि भूमि की कटान रोकने के लिए जगह-जगह परक्यूपाइन लगाए गए हैं और सभी अभियंताओं को सतर्क रहने के निर्देश दिए गए हैं। बंधा फिलहाल पूरी तरह सुरक्षित है।

करनैलगंज तहसील में घाघरा नदी से सटे 52.400 किमी लम्बे एल्गिन-चरसड़ी बंधे के पास नकहरा, प्रतापपुर और रायपुर माझा के दर्जनों मजरों में रिसाव के कारण बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं। कई गांवों के लोग पानी में घुसकर आना-जाना करने को मजबूर हैं। इस बंधे से लगभग डेढ़ सौ गांवों और 20,000 हेक्टेयर भूमि व फसलों की सुरक्षा का दावा किया गया है। वहीं, सरयू नदी से सटे 22.200 किमी लम्बे भिखारीपुर-सकरौर बंधे के आधा दर्जन स्थानों पर स्थिति संवेदनशील बनी हुई है।

केन्द्रीय जल आयोग के अनुसार घाघरा नदी अपने खतरे के निशान 106.07 मीटर से 90 सेमी ऊपर बह रही है, जबकि सरयू नदी नया घाट अयोध्या में खतरे के निशान 92.730 मीटर से 60 सेमी ऊपर बह रही है।

प्रभावित गांवों की मुश्किलें बढ़ीं

तरबगंज तहसील के बाढ़ग्रस्त दत्तनगर साकीपुर के करीब एक दर्जन मजरों में बाढ़ का पानी घुस चुका है, जिससे लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। कई गांवों के संपर्क मार्ग पानी में डूब गए हैं, जिससे आवागमन प्रभावित हुआ है। रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा करने में ग्रामीणों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।

दत्तनगर गांव के 22 मजरों में जलभराव के कारण पालतू पशुओं के लिए चारे की कमी हो गई है। प्रभावित क्षेत्रों में राहत कार्य तेजी से किए जा रहे हैं। एडीएम आलोक कुमार, एसडीएम तरबगंज विशाल कुमार, नायब तहसीलदार और जिला आपदा विशेषज्ञ राजेश श्रीवास्तव ने बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा कर स्थिति का जायजा लिया। प्रभावित गांवों में कम्युनिटी किचन के माध्यम से लंच पैकेट की व्यवस्था की जा रही है।

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