लखनऊ, 16 दिसंबर 2025 :
धनु संक्रांति के साथ आज से खरमास की शुरुआत हो गई है। सूर्यदेव ने आज वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश किया, जिसके साथ ही धनु संक्रांति का पुण्यकाल भी आरंभ हुआ। 12 दिसंबर को शुक्र ग्रह अस्त हो चुके हैं और अब 52 दिनों तक अस्त रहेंगे। शुक्र का उदय एक फरवरी 2026 के बाद होगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दौरान विवाह, सगाई, गृह प्रवेश और यज्ञोपवीत जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं।
सुबह 4:19 बजे हुई धनु संक्रांति
ज्योतिषाचारियों के अनुसार सूर्यदेव एक राशि में लगभग 30 दिन रहते हैं। जब वे किसी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उस दिन संक्रांति मानी जाती है। आज सुबह 4:19 बजे सूर्यदेव ने वृश्चिक राशि से निकलकर धनु राशि में प्रवेश किया। नववर्ष में 14 जनवरी 2026 को सूर्यदेव मकर राशि में प्रवेश करेंगे, जिससे सूर्य की नई संक्रांति का आरंभ होगा।

धनु संक्रांति का पुण्यकाल और महत्व
सूर्य की संक्रांति के समय पुण्यकाल का विशेष महत्व होता है। धनु संक्रांति का पुण्यकाल आज सुबह 10:43 बजे तक रहेगा। इस दौरान गोदावरी नदी या अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना और वस्त्र दान करना अत्यंत फलदायी माना गया है। ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार, इस समय किए गए दान और पुण्य कर्म से जीवन में सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है।
शुक्र उदय के बाद शुरू होंगे शुभ कार्य
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक आज से शुरू हुए खरमास में कोई भी मांगलिक कार्य करना वर्जित है। उन्होंने बताया कि जब सूर्य देवगुरु बृहस्पति की राशि में प्रवेश करते हैं, तो सूर्य का तेज कम हो जाता है और बृहस्पति की शुभता भी प्रभावित होती है। यही कारण है कि इस दौरान विवाह, सगाई, यज्ञोपवीत, मुंडन और गृह प्रवेश जैसे शुभ संस्कार नहीं कराए जाते।
पूजा और दान का विशेष महत्व
खरमास के समय भगवान विष्णु और भगवान शंकर की पूजा अत्यंत शुभ मानी जाती है। इस अवधि में दान-पुण्य और सेवा करने से जीवन में सुख, समृद्धि और सकारात्मक ऊर्जा का आगमन होता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार, संयम और भक्ति के साथ बिताया गया यह समय आध्यात्मिक उन्नति का सुनहरा अवसर प्रदान करता है।






