Uttar Pradesh

कुशीनगर : पाकिस्तानी नागरिक गिरफ्तार, 68 साल से रह रहा था, शिकंजे में दो जालसाज भी

कुशीनगर, 12 जून 2025:

यूपी के कुशीनगर जनपद के पटहेरवा क्षेत्र के गगलवा चैन पट्टी गांव में पिछले 68 वर्षों से रह रहे पाकिस्तानी नागरिक सेराजुल हक को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उसने आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और आयुष्मान कार्ड जैसे भारतीय दस्तावेज फर्जी तरीके से बनाए गए थे। पुलिस ने इस मामले में शामिल तीन जालसाजों में से दो को भी गिरफ्तार किया है, जबकि एक की तलाश जारी है।

पूर्वी पाकिस्तान से 1957 में मां के साथ आया था

पुलिस के अनुसार सेराजुल हक मूल रूप से पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के चटगांव का रहने वाला है। वह 11 अप्रैल 1957 को अपनी मां कुलसुम खातून के साथ लांग टर्म वीजा (एलटीवी) पर भारत आया था। तब वह छह साल का था। वर्षों से कुशीनगर में रहकर उसने भारतीय नागरिकता का गलत तरीके से लाभ लिया।

फर्जी दस्तावेज के सहारे पहचान छिपाई

सेराजुल ने कुशीनगर के पते पर आधार कार्ड, पैन कार्ड, वोटर आईडी और आयुष्मान कार्ड बनवाए। इन दस्तावेजों के आधार पर उसने भारत में पहचान छिपाकर रहना जारी रखा और सरकारी योजनाओं का लाभ भी उठाया। पुलिस की जांच में सामने आया कि सेराजुल का पैन कार्ड पटहेरवा क्षेत्र के कुचिया पिपरा निवासी चांद अख्तर ने बनवाया था।

जालसाजी में सीएससी संचालक और अन्य शामिल

नगर पंचायत दुदही के एपीजे अब्दुल कलाम नगर निवासी सीएससी संचालक शब्बीर आजम और गोरखपुर के झंगहा निवासी शेख सूबेदार ने मिलकर सेराजुल के अन्य दस्तावेज तैयार कराए थे। पुलिस ने चांद अख्तर और शब्बीर आजम को गिरफ्तार कर लिया है, जबकि शेख सूबेदार की तलाश जारी है। उसके खिलाफ पहले से धोखाधड़ी का केस दर्ज है।

सरकारी पोर्टल पर आवेदन के लिए जुटाए थे दस्तावेज

सरकार द्वारा पुराने एलटीवी को निरस्त कर नया पोर्टल शुरू किया गया है। इस पर आवेदन करने के लिए सेराजुल ने फर्जी दस्तावेज बनवाए थे। वह 16 मई 1954 को जारी पासपोर्ट संख्या 586949 और वीजा संख्या बी-323040 के जरिए भारत आया था।

कुशीनगर के एसपी संतोष कुमार मिश्रा के मुताबिक वर्ष 2023 में सेराजुल का वीजा नवीनीकरण नहीं हुआ था और वह तब से अवैध रूप से भारत में रह रहा था। उसने आयुष्मान कार्ड का इस्तेमाल कर इलाज भी कराया है। मामले में तीन में से दो आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है, जबकि एक फरार है।

पुलिस अब यह पता लगाने में जुटी है कि सेराजुल किस-किस के संपर्क में रहा और कहीं यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा तो नहीं है।

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