
आशुतोष तिवारी
सुल्तानपुर, 18 दिसम्बर 2024:
यह कहानी है एक साधारण परिवार के सपनों की, जो टूट गए एक दर्दनाक दुर्घटना में…
सुल्तानपुर के एक छोटे से गांव विझुरी में रहने वाले माता प्रसाद ने अपने परिवार को बेहतर जीवन देने के लिए सऊदी अरब जाने का फैसला किया। पत्नी निर्मला और बच्चों के सपनों को संजोते हुए, माता प्रसाद ने परदेस की राह पकड़ी।

धीरे-धीरे परिवार की स्थिति सुधरने लगी। बेटा अभिषेक इंटर में पढ़ने लगा, बेटी शिल्पा ने बीए में प्रवेश लिया। निर्मला ने अपनी बेटी की शादी के लिए पैसे जोड़ने शुरू किए। सब कुछ सही दिशा में जा रहा था।
15 नवंबर की शाम को माता प्रसाद ने घर फोन किया। पत्नी से बात की, बच्चों का हाल पूछा, और अगले महीने घर आने का वादा किया। लेकिन किसे पता था कि यह उनकी आखिरी बातचीत होगी। अगले ही दिन मजदूरी के दौरान एक दीवार के नीचे दबकर उनकी जान चली गई।

फिर शुरू हुई एक लंबी और कठिन प्रक्रिया। शव को वतन लाने के लिए परिवार को बेटी की शादी के लिए जमा किए तीन लाख रुपए खर्च करने पड़े। एक महीने बाद, 17 दिसंबर को जब माता प्रसाद का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा, तो पूरा गांव शोक में डूब गया।
आज माता प्रसाद का परिवार न केवल अपने प्रियजन को खो चुका है, बल्कि आर्थिक संकट से भी जूझ रहा है। बेटी की शादी के सपने अधूरे हैं, बच्चों की पढ़ाई का भविष्य अनिश्चित है। ग्रामीण सरकार से मदद की गुहार लगा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई सहायता नहीं मिली है।






