Uttar Pradesh

लखनऊ : कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला, एससी-एसटी का झूठा केस कराने वाले वकील को उम्रकैद, महिला बरी

लखनऊ, 20 अगस्त 2025:

यूपी की राजधानी लखनऊ की एक विशेष अदालत ने जमीनी विवाद को लेकर विरोधियों पर एससी-एसटी एक्ट के तहत रेप का झूठा केस दर्ज कराने वाले अधिवक्ता परमानंद गुप्ता को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। विशेष न्यायाधीश विवेकानंद शरण त्रिपाठी ने गुप्ता पर 5.10 लाख का जुर्माना भी लगाया।

ये केस दर्ज कराने वाली पूजा रावत नामक महिला को कोर्ट ने बरी कर दिया। अदालत ने चेतावनी दी कि यदि भविष्य में उसने एससी-एसटी एक्ट या दुष्कर्म के प्रावधानों का दुरुपयोग कर झूठे केस दर्ज कराए, तो उसके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाएगी।

मालूम हो कि गत 18 जनवरी को पूजा रावत ने कोर्ट के आदेश से विभूतिखंड थाने में अरविंद यादव और अवधेश यादव के खिलाफ दुष्कर्म की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। चूंकि पूजा रावत एससी-एसटी समुदाय की है, इसलिए मामले की विवेचना एसीपी ने की। जांच में सामने आया कि दुष्कर्म का मुकदमा फर्जी और जमीनी विवाद से प्रेरित था। विवेचना में स्पष्ट हुआ कि कथित पीड़िता पूजा घटना स्थल पर मौजूद ही नहीं थी। उसने परमानंद गुप्ता के इशारे पर विरोधियों के खिलाफ झूठा केस दर्ज कराया।

हालांकि, सुनवाई के दौरान पूजा रावत ने अदालत में बयान दिया कि गोरखपुर निवासी होने के नाते वह लखनऊ आने पर परमानंद और उसकी पत्नी के बहकावे में आ गई थी। अदालत ने उसे क्षमादान देकर बरी कर दिया, जबकि षड्यंत्र के मास्टरमाइंड अधिवक्ता परमानंद गुप्ता को उम्रकैद की सजा दी गई।

कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिए कि एससी-एसटी या दुष्कर्म से संबंधित हर एफआईआर में यह उल्लेख हो कि वादिनी या उसके परिवार ने पूर्व में कितने मुकदमे दर्ज कराए हैं। साथ ही जिलाधिकारी को आदेश दिया गया कि केवल एफआईआर दर्ज होते ही प्रतिकर न दिया जाए, बल्कि चार्जशीट दाखिल होने के बाद ही आर्थिक सहायता प्रदान की जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button