लखनऊ, 30 अक्टूबर 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ में नगर निगम कार्यकारिणी की गुरुवार को हुई बैठक एक बार फिर बिना किसी ठोस निर्णय के समाप्त हो गई। बैठक की अध्यक्षता कर रहीं महापौर सुषमा खर्कवाल ने निगम प्रशासन की कार्यशैली पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि प्रशासन की निष्क्रियता और जनहित के मुद्दों की उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
महापौर ने स्पष्ट कहा कि कार्यकारिणी और सदन दोनों ही जनता और कर्मचारियों के हित में मिलकर निर्णय लेते हैं, लेकिन प्रशासन लगातार पारित प्रस्तावों की अनदेखी कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि इस रवैये से न केवल जनता का नुकसान हुआ है, बल्कि सरकारी धन और समय दोनों की बर्बादी हुई है।

महापौर खर्कवाल ने कहा कि सफाई व्यवस्था, मार्ग प्रकाश, मृतक आश्रितों के अधिकार, जलभराव, टूटी सड़कों और निगम की भूमि पर अवैध कब्जों जैसे मुद्दों पर प्रशासन का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा है। उन्होंने यह भी कहा कि समाजसेवी नागरिकों और लोकनायकों के सम्मान से जुड़े प्रस्तावों पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। ये अत्यंत खेदजनक है।
सबसे गंभीर मामला पुनरीक्षित बजट को लेकर सामने आया। महापौर ने कहा कि यह दस्तावेज गोपनीय और महत्वपूर्ण होता है, जिस पर वरिष्ठ अधिकारियों के साथ विस्तृत चर्चा जरूरी है, लेकिन इसे औपचारिकता के तौर पर चपरासी और डाक के माध्यम से भेजा गया। यह न केवल प्रक्रियागत गलती है, बल्कि प्रशासन की गंभीर लापरवाही भी दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि बजट कोई औपचारिक कागज नहीं, बल्कि शहर के विकास की दिशा तय करने वाला आधार होता है। इस पर ऐसी उदासीनता अस्वीकार्य है।
महापौर ने चेतावनी दी कि जब तक निगम प्रशासन पहले से लिए गए सभी निर्णयों का अनुपालन नहीं करता, तब तक कार्यकारिणी की अगली बैठक नहीं बुलाई जाएगी। उन्होंने प्रशासन से अनुपालन की समयसीमा स्पष्ट करने को कहा, ताकि उसी के आधार पर अगली बैठक की तिथि तय की जा सके।
महापौर खर्कवाल ने कहा कि लखनऊ की जनता ने हम पर भरोसा जताया है। प्रशासन को यह समझना होगा कि जनप्रतिनिधि जनता की आवाज़ हैं। यदि उनकी अनदेखी होती है, तो यह जनता का अपमान है। जवाबदेही तय किए बिना शहर में विकास की गति तेज़ नहीं हो सकती।






