
लखनऊ, 13 अक्टूबर 2025:
सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बीआर गवई पर गत दिनों सुनवाई के दौरान जूता फेंकने की घटना के विरोध में सोमवार को लखनऊ में विभिन्न सामाजिक संगठनों से जुड़े लोगों ने जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने परिवर्तन चौक से हजरतगंज स्थित डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा तक शांतिपूर्ण पैदल मार्च निकाला। उन्होंने जूता फेंकने के कृत्य को भारतीय न्यायपालिका की गरिमा और संवैधानिक मूल्यों पर सीधा हमला बताया।
प्रदर्शन के दौरान लोगों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा था… न्यायपालिका का सम्मान करो, संवैधानिक संस्थाओं पर हमला बर्दाश्त नहीं और सीजेआई पर हमले के दोषियों को सजा दो।
मार्च का नेतृत्व कर रहे संयोजक रामचन्द्र पटेल ने कहा कि यह हमला केवल एक व्यक्ति पर नहीं बल्कि संविधान और न्यायपालिका की नींव पर है। ऐसी मानसिकता लोकतांत्रिक व्यवस्था को कमजोर करती है। देशभर में इस घटना ने आक्रोश फैला दिया है।
इस शांतिपूर्ण मार्च में समाज के विभिन्न वर्गों के लोग वकील, सामाजिक कार्यकर्ता, छात्र और आम नागरिक शामिल हुए। हजरतगंज पहुंचने पर डॉ. भीमराव अंबेडकर की प्रतिमा के पास एक सभा आयोजित की गई, जिसमें वक्ताओं ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और लोकतंत्र में उसकी अहम भूमिका पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्तियों पर हिंसक या अपमानजनक व्यवहार अराजकता को बढ़ावा देता है और इसे किसी भी स्थिति में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
मार्च के समापन पर प्रदर्शनकारियों के एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति को संबोधित एक ज्ञापन जिला प्रशासन को सौंपा। मार्च में राजेश सिद्धार्थ, पीसी कुरील, अशोक कुमार, एडवोकेट शैलेंद्र अंबेडकर, सीएल राजन, एडवोकेट जेपी वर्मा, कमलाकांत गौतम, एडवोकेट पंकज प्रसून, नेकराम बौद्ध, एडवोकेट संतराम, बीपी सिंह, ए रहमान, इदरीश सिद्दीकी, सियाराम गौतम, बिमला बौद्ध, डॉ. सत्यवती दोहरे, डॉ. संघमित्रा, अभय प्रताप त्यागी सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।