Lucknow City

बलिया के अपमान पर लखनऊ में ज्वाला : छात्रों ने मंत्री संजय निषाद का पुतला फूंका, बर्खास्तगी की मांग

लखनऊ विश्वविद्यालय के गेट के बाहर प्रदर्शन किया, मुख्यमंत्री से की मंत्रिमंडल से तत्काल हटाने की मांग, कहा-मंत्री का बयान पूरे बलिया और प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान

लखनऊ, 4 दिसंबर 2025:

यूपी के कैबिनेट मंत्री एवं निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय निषाद के बलिया के बारे में विवादित बयान पर विरोध प्रदर्शन तेज होता जा रहा है। गुरुवार को लखनऊ विश्वविद्यालय के गेट के बाहर छात्रों ने मंत्री के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया और पुतला फूंकते हुए उन पर कड़ी कार्रवाई की मांग की। छात्रों का कहना था कि संजय निषाद द्वारा बलिया के लोगों को अंग्रेजों का दलाल बताना न सिर्फ असंवेदनशील है बल्कि प्रदेश के गौरवशाली इतिहास का भी अपमान है।

प्रदर्शनकारियों ने कहा कि यह बयान बलिया की उस ऐतिहासिक आत्मा को चोट पहुंचाता है जिसने स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। छात्रों के अनुसार जब प्रदेश सरकार के एक मंत्री इस तरह की टिप्पणी करते हैं और उन पर कोई कार्रवाई नहीं होती तो यह पूरे बलिया और प्रदेश के स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान माना जाता है।

कुछ दिनों पहले दिए गए इस बयान पर शहीद पंडित ओझा के परिवार ने भी कड़ी प्रतिक्रिया जताई थी। इसके बाद से विरोध की लहर लगातार बढ़ती जा रही है। लखनऊ विश्वविद्यालय के छात्रों ने कहा कि बलिया वह धरती है जहां पौराणिक काल में महर्षि के यज्ञ से लेकर आधुनिक भारत के स्वतंत्रता संग्राम तक वीरता और संघर्ष की महान गाथाएं रची गई हैं। ‘बलिया विद्रोह’ को याद करते हुए छात्रों ने कहा कि बलिया वह पहला जिला था जिसने ब्रिटिश शासन को चुनौती देते हुए अपनी सरकार स्थापित करने का साहसिक कदम उठाया था।

प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को तुरंत संजय निषाद को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करना चाहिए ताकि जनता को यह संदेश मिले कि इतिहास के साथ खिलवाड़ और अपमानजनक टिप्पणी किसी भी स्तर पर स्वीकार्य नहीं है।

छात्रों ने नारे लगाए कि वीरों की धरती, बागियों का देश-बागी बलिया उत्तर प्रदेश और कहा कि यह केवल बलिया का मुद्दा नहीं बल्कि पूरे देश के स्वतंत्रता सेनानियों की गरिमा का प्रश्न है। प्रदर्शन में आदित्य पांडे, अंकित समेत बड़ी संख्या में छात्र मौजूद रहे। सभी ने एक सुर में कहा कि यदि मांग नहीं मानी गई तो विरोध और तेज होगा।

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