लखनऊ, 30 दिसंबर 2025:
यूपी की राजधानी लखनऊ आने वाले दिनों में एक महत्वपूर्ण संसदीय आयोजन की मेजबानी करने जा रही है। 19 से 21 जनवरी 2026 तक यहां देशभर की सभी विधानसभाओं एवं विधान परिषदों के अध्यक्षों और सभापतियों का राष्ट्रीय सम्मेलन आयोजित होगा। इस तीन दिवसीय आयोजन को भारतीय लोकतांत्रिक व्यवस्था के विधायी ढांचे को मजबूती देने वाले मंच के रूप में देखा जा रहा है।
इसमें देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के 31 विधानसभा अध्यक्षों के अलावा छह राज्यों आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश की विधान परिषदों के सभापति भी हिस्सा लेंगे। सम्मेलन का शुभारंभ लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला द्वारा किया जाएगा। 21 जनवरी को राज्यपाल आनंदीबेन पटेल सम्मेलन का औपचारिक समापन करेंगी। सीएम योगी आदित्यनाथ भी सम्मेलन के दौरान विशेष सत्र में उपस्थित रहकर प्रतिभागियों को संबोधित करेंगे।
सम्मेलन के पश्चात 22 जनवरी को सभी पीठासीन अधिकारियों को अयोध्या धाम के दर्शन कराए जाएंगे। इसे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक अनुभव के रूप में जोड़ा गया है। यूपी विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना ने सम्मेलन की तैयारियों और अपेक्षित उद्देश्यों पर जानकारी देते हुए कहा कि यह मंच विधायी संस्थाओं के बीच संवाद, अनुभव साझा करने और संसदीय प्रक्रियाओं को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

उन्होंने हाल ही में संपन्न हुए यूपी विधानसभा के शीतकालीन सत्र का लेखा-जोखा भी प्रस्तुत किया। उनके अनुसार 19 से 24 दिसंबर तक आयोजित शीतकालीन सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही बिना किसी व्यवधान के संपन्न हुई। यह एक उल्लेखनीय उपलब्धि रही कि एक भी दिन कार्यवाही स्थगित नहीं करनी पड़ी और सभी निर्धारित विधायी कार्य समय पर पूर्ण कर लिए गए। इस अवधि में सदन 24 घंटे 50 मिनट चला।
सत्र के दौरान 2776 प्रश्न प्राप्त हुए जिनमें अल्पसूचित प्रश्न 1, तारांकित 451 और अतारांकित 1842 रहे। खास बात यह रही कि 95.46% अर्थात 2650 प्रश्न सदस्यों ने ऑनलाइन माध्यम से भेजे जिन्हें पब्लिक पोर्टल पर भी उपलब्ध कराया गया।
सदन की कार्यवाही के दौरान 408 याचिकाएं प्राप्त हुईं। सत्र में नियम 311 के अंतर्गत कोई सूचना नहीं आई। सत्र के दौरान कई महत्वपूर्ण विधेयक भी पारित किए गए, जिसके जरिए प्रदेश सरकार ने अपने विधायी कार्यों में गतिशीलता और पारदर्शिता का परिचय दिया।






