
मंडला, 19 फरवरी 2025
मध्य प्रदेश के कान्हा राष्ट्रीय उद्यान और आसपास के वन क्षेत्रों में मंगलवार को तीन दिवसीय गिद्ध गणना शुरू हुई। यह वार्षिक आयोजन गिद्धों की आबादी पर नज़र रखने के लिए किया जा रहा है, जिनकी संख्या में हाल के वर्षों में काफी गिरावट आई है।
कान्हा में गिद्धों की पांच प्रजातियां पाई जाती हैं, लेकिन उनकी घटती आबादी संरक्षणवादियों के लिए गंभीर चिंता का विषय बनी हुई है। जनगणना में डिंडोरी, कटनी और पूर्वी तथा पश्चिमी मंडला के वन क्षेत्र शामिल हैं, जो कान्हा नोडल क्षेत्र में आते हैं।
प्रभागीय वनाधिकारी अमिता केबी के अनुसार, कर्मचारी प्रतिदिन सुबह 9 बजे से पहले उनके विश्राम स्थलों पर गिद्धों की गिनती करते हैं, उनकी तस्वीरें लेते हैं और डेटा को एक ऐप पर अपलोड करते हैं। गणना के पहले दिन कान्हा टाइगर रिजर्व और आस-पास के इलाकों में 220 गिद्ध देखे गए। यह पिछले साल की गणना 230 गिद्धों से थोड़ा कम है। गणना दो दिन और जारी रहेगी, वन अधिकारियों को गिद्धों की संख्या में सकारात्मक रुझान की उम्मीद है।
वन विभाग गिद्धों की घटती आबादी को रोकने के लिए सक्रिय कदम उठा रहा है, जिसमें उनकी संख्या की निगरानी करना और संरक्षण रणनीतियों को लागू करना शामिल है। पिछली गिद्ध जनगणना में राज्य में 10,000 से ज़्यादा गिद्ध दर्ज किए गए थे। मध्य प्रदेश में सबसे ज़्यादा देखी जाने वाली प्रजातियों में कुंग गिद्ध, लंबी चोंच वाला गिद्ध और सफ़ेद पीठ वाला गिद्ध शामिल हैं। यह जनगणना राष्ट्रीय उद्यानों, बाघ अभयारण्यों और अभयारण्यों में चरणों में की जा रही है।
इस सप्ताह के प्रारम्भ में बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में गिद्ध गणना भी शुरू हो गई, जहां यह 19 फरवरी तक चलेगी।
गिद्ध बीमारियों के प्रसार को नियंत्रित करने में मदद करके पारिस्थितिकी तंत्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उनका पाचन तंत्र हानिकारक बैक्टीरिया और कवक को बेअसर कर सकता है, जिससे एंथ्रेक्स और रेबीज जैसी महामारियों को रोकने में वे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।






