अमित मिश्रा
महाकुंभ नगर, 28 दिसंबर 2024
संगम तट पर बस रहे महाकुंभ में आस्था, भक्ति और आध्यात्म के विभिन्न रूप देखने को मिलते हैं।
अखाड़ों के आगमन के बाद से साधुओं के कई रूप भी अब कुंभ मेला क्षेत्र में नजर आने लगे हैं, कहीं पर्यावरण बाबा तो कहीं ई रिक्शा वाले बाबा तो कहीं हाथ उठाने का संकल्प लेने वाले बाबा नजर आने लगे हैं।

इस समय कुंभ मेला क्षेत्र में आप जिधर भी जाएंगे आपको तरह-तरह के बाबाओ के रूप नजर आएंगे। हर तरफ कुछ ऐसे ही बाबा प्रयागराज के संगम की रेती पर बैठे हुए नजऱ आ रहे हैं। । इन बाबा की और अन्य बाबाओ से थोड़ी अलग कहानी है तिरंगा बाबा की।
तिरंगा बाबा किसी आसन पर नहीं बल्कि संगम की रेत पर ही बैठे नजर आएंगे और उनके आगे भारत का झंडा लहराते हुए नजर आता है। अधिकतर यह देखा गया है कि बाबा केसरिया ड्रेस में होते हैं लेकिंन यह बाबा तिरंगा वाले बाबा के नाम से जाने जाते हैं।
भारत के हरियाणा के रहने वाले नरेश गिरी अपने परिवार से नाराज होकर साधु का वेश धारण कर लिया अब भारत के हर पवित्र मंदिर और पूजा स्थलों पर जाते हैं। बाबा का पूरा परिवार हरियाणा में रहता है जबकि बाबा को सांसारिक जीवन में कुछ नहीं मिला तो इन्होंने अपने दैनिक जीवन को त्याग कर अब संन्यास धारण कर लिया है। लेकिन अब सांसारिक जीवन को त्याग करने के बाद सन्यासी का रूप धारण कर संतों का जीवन बिताने लगे हैं।
इन बाबा की सबसे खास बात यह है की अन्य संतों की तरह ना इनके के पास कोई भगवान की मूर्ति है ना कोई फोटो है । वह बिना किसी आसन लगाए संगम की रेती पर बैठकर ध्यान करते हर जगह नजर आ जाते हैं।
तिरंगा बाबा अपने सारे भगवान को भारत के झंडे में ही देखते हैं लिहाजा बैठने से पहले संगम तिरंगे झंडे को प्रणाम करते है. और माँ गंगा की रेती से ही अर्घ भी देते हैं।
जैसे ही बाबा संगम तट पर या संगम किनारे संगम की रेती पर बैठे नजर आते हैं, लोग उनके चरण स्पर्श करने उनके पास पहुंच जाते हैं उनसे आशीर्वाद लेते हैं। यही नहीं आज की युवा पीढ़ी में सेल्फी का प्रचलन है बाबा के साथ सेल्फी लेते भी नजर आते हैं।