
मुंबई, 23 अप्रैल 2025
महाराष्ट्र सरकार ने मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य बनाने के अपने आदेश पर रोक लगा दी है। इस कदम का विभिन्न पक्षों से विरोध होने के बाद यह कदम उठाया गया है। राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने मंगलवार को सरकारी प्रस्ताव (जीआर) पर रोक लगाने की घोषणा की। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हम अनिवार्य शब्द (जैसा कि जीआर में उल्लेख किया गया है) पर रोक लगा रहे हैं।
हम संशोधित जीआर जारी करेंगे।” भूसे ने कहा कि तीसरी भाषा के रूप में हिंदी सीखना स्वैच्छिक होगा। पिछले सप्ताह राज्य के मराठी और अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में कक्षा 1 से 5 तक के छात्रों के लिए तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को अनिवार्य बनाने के सरकारी फैसले को कुछ विपक्षी दलों सहित विभिन्न हलकों से कड़ा विरोध मिला था। यह कदम महाराष्ट्र सरकार की भाषा परामर्श समिति द्वारा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से इस फैसले को वापस लेने का आग्रह करने के कुछ दिनों बाद उठाया गया है।
हिंदी को अनिवार्य बनाने के कदम का विरोध करने वाले महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के अध्यक्ष राज ठाकरे ने कहा कि उनकी पार्टी की पहल के कारण ही सरकार ने इस फैसले पर रोक लगाई है। उन्होंने कहा कि अगर सरकार कोई भी फैसला लेने से पहले इस बारे में सोचती तो उसे अपना फैसला रोकने की जरूरत नहीं पड़ती। ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में मराठी के अलावा कोई और भाषा नहीं चलेगी। मंत्री भुसे ने यह भी कहा कि राज्य में मराठी भाषा सीखना अनिवार्य किया जाएगा और शिक्षा विभाग यह सुनिश्चित करेगा कि इसे प्रभावी ढंग से लागू किया जाए। उन्होंने जोर देकर कहा कि केंद्र ने राज्य पर हिंदी “थोपने” का दबाव नहीं डाला।
हिंदी को अनिवार्य बनाने वाले पहले के जीआर में भूसे ने कहा कि हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में अनिवार्य बनाने का फैसला संचालन समिति की सिफारिशों के अनुसार लिया गया था। उन्होंने कहा कि चूंकि हिंदी और मराठी दोनों की एक ही देवनागरी लिपि है, इसलिए छात्रों और यहां तक कि शिक्षकों के लिए भी भाषा सीखना आसान हो जाता। उन्होंने कहा कि तीसरी भाषा पर नीति तय की जानी है। अन्य भाषाओं के लिए सरकार भाषा की मांग का आकलन करेगी, विस्तृत अध्ययन करेगी और फिर उसके अनुसार निर्णय लेगी।






