मालेगांव ब्लास्ट में शामिल सभी आरोपियों को न्यायालय ने बरी कर दिया है, ऐसे में शाजापुर जिले के ग्राम दुपाड़ा निवासी दिलीप पाटीदार की पत्नी और बेटे 17 साल बाद उनके आने की आस लगाए बैठे हैं। 17 साल पहले 10 नवंबर 2008 को मालेगांव ब्लास्ट में मुंबई एटीएस की टीम दिलीप पाटीदार को पूछताछ के लिए लेकर गई थी, तब से ही दिलीप का कोई अता-पता नहीं है।
परिजनों ने बताया 17 नवंबर तक एटीएस की हिरासत में रहे दिलीप से मोबाइल पर बातचीत होती रही। उसके बाद एटीएस का यह कहना है उन्हें यहां से छोड़ दिया। दिलीप आज तक अपने घर नहीं पहुंचे। परिजनों ने इसके लिए न्यायिक लड़ाई भी लड़ी। इन्दौर हाईकोर्ट में परिजनों ने दिलीप की तलाश के लिए अपील भी की लेकिन कुछ हासिल नहीं हुआ। सुप्रीम कोर्ट में अभी भी क्षतिपूर्ति के लिए मामला विचाराधीन है।
पत्नी और बेटे को है दिलीप का इंतजार
पत्नी और बेटे को आज भी इंतजार और भरोसा है दिलीप जरूर घर लौटेंगे। मालेगांव ब्लास्ट मामले में फैसला होने के बाद परिवार को एक बार फिर से दिलीप के आने की उम्मीद बंधी है। इस मामले में दिलीप पाटीदार की पत्नी पदमा पाटीदार ने केंद्र सरकार से गुहार लगाई है, मेरे पति कहां है। सरकार इस मामले में फिर से जांच पड़ताल शुरू करें। पदमा पाटीदार का कहना है कि मालेगांव ब्लास्ट में सभी आरोपियों को बरी कर दिया है। मेरे पति को मुंबई एटीएस 10 नवंबर 2008 को रामजी कलसंग्रह के इन्दौर स्थित मकान से पूछताछ के लिए लेकर गई थी। रामजी भी इस मामले में आरोपी थे और उनके मकान में हम किरायेदार थे। पति से आठ दस दिनों तक एटीएस ने मोबाइल पर बातचीत करवाई, उसके बाद उनका कोई पता नहीं चला। बेटा हिमांशु तीन वर्ष का था, उसे पिता का चेहरा भी नहीं याद है। उम्मीद है मेरे पति जरुर घर लौटेंगे।
बेटे हिमांशु भी अपने पिता के आने का इंतजार कर रहा है। हिमांशु ने कहा फैसला आने के बाद सभी आरोपी बरी हो गए हैं। मेरे पिता का कोई कसूर नहीं था, एटीएस पूछताछ के लिए घर से लेकर गई लेकिन आज तक कोई पता नहीं है। सरकार इस मामले की जांच करें और बताएं वे कहां हैं।






