संतोष देव गिरि
मिर्जापुर, 5 जून 2025:
उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी मुख्यमंत्री सामूहिक विवाह योजना का मज़ाक मिर्जापुर जनपद में बनता नजर आ रहा है। हलिया ब्लॉक के सोनगढ़ा गांव निवासी सोनू और साधना उर्फ गुड़िया की शादी इस योजना के तहत 21 जनवरी 2025 को हलिया के जगधारी प्रसाद इंटर कॉलेज में कराई गई थी। इस कार्यक्रम में कुल 117 जोड़ों की शादी हुई थी, जिसमें इन दोनों की जोड़ी 90वें नंबर पर थी।
तय था गांव से भी होगी पारंपरिक शादी
परिवारों में पहले ही तय हो गया था कि योजना के तहत विवाह के बाद गांव में भी पारंपरिक रीति से बारात जाएगी। इसी के तहत 2 जून को सोनू बारात लेकर लड़की के गांव पहुंचा। द्वार पूजा, जयमाल और मंडप सजने के बाद लड़की के पिता ने आरोप लगाया कि लड़के वालों ने तय किए अनुसार पर्याप्त गहने नहीं लाए हैं, इसलिए शादी नहीं होगी। देर रात तक पंचायत चलती रही, लेकिन लड़की का परिवार नहीं माना और अंततः बारात को लौटना पड़ा।
सोनू ने फोन पर बातचीत में कहा, “हमारी पहले शादी योजना से हो चुकी है, लेकिन अब बारात लौटा दी गई। हमारी बहुत बेइज्जती हुई है। हम 50,000 रुपये का गहना लेकर फिर जा रहे हैं। अगर इस बार भी शादी नहीं हुई तो मैं जान दे दूंगा।”
वादा पूरा न करने पर रुकी शादी
इस मामले में लड़की के पिता पप्पू कोल ने कहा कि वादा पूरा नहीं किया गया इसलिए शादी रोक दी गई। वहीं, लड़के के पिता रघुनाथ कोल ने भी स्वीकार किया कि गहनों को लेकर विवाद हुआ और इसी कारण बारात लौटी।
क्या कहा समाज कल्याण अधिकारी ने?
मामले में समाज कल्याण अधिकारी त्रिनेत्र कुमार सिंह ने बताया कि योजना के अंतर्गत प्रत्येक जोड़े को ₹51,000 की सहायता दी जाती है, जिसमें ₹35,000 लड़की के बैंक खाते में, ₹10,000 वैवाहिक उपहार सामग्री में और ₹6,000 आयोजन पर खर्च किए जाते हैं। अधिकारी ने बताया कि उनका दायित्व रजिस्ट्रेशन से लेकर विवाह संपन्न कराने तक होता है, इसके बाद अगर कोई सामाजिक या पारिवारिक विवाद होता है तो उसकी जानकारी या शिकायत उनके पास नहीं आई है।
बड़ा सवाल यह है कि जब राज्य सरकार गरीब बेटियों के लिए योजना चलाकर विवाह संपन्न करा रही है, तब भी गहनों के नाम पर इस तरह की घटनाएं योजना की गंभीरता और उद्देश्य को चोट पहुँचा रही हैं। जब तक समाज की सोच नहीं बदलेगी, तब तक ऐसी योजनाओं के परिणाम सीमित ही रहेंगे।