
नई दिल्ली, 28 जुलाई 2025:
समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव की मस्जिद में बैठक के दौरान ली गई तस्वीर पर ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन के प्रमुख मौलाना साजिद रशीदी द्वारा की गई टिप्पणी से देश की सियासत गरमा गई है। लखनऊ में मौलाना रशीदी के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो चुकी है, लेकिन उन्होंने स्पष्ट कहा है कि वह अपने बयान पर कायम हैं और उन्होंने इस्लामी मान्यताओं के अनुरूप ही प्रतिक्रिया दी है।
मौलाना ने कहा कि उन्होंने कोई अमर्यादित या आपत्तिजनक बात नहीं कही, बल्कि मस्जिद की मर्यादा की बात की है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या अब मस्जिद की पवित्रता पर बोलना भी अपराध हो गया है? उन्होंने कहा, “मैं मुसलमान हूं, इसलिए मेरे बयान को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। डिंपल यादव की पूजा-अर्चना की तुलना मस्जिद की स्थिति से करना गलत नहीं है।”
वहीं संसद में एनडीए सांसदों ने इस टिप्पणी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया, जिस पर डिंपल यादव ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि अगर बीजेपी को महिलाओं के सम्मान की इतनी ही चिंता थी, तो मणिपुर की घटना पर उस समय संसद में इसी तरह विरोध करना चाहिए था। डिंपल ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान महिला फौजी अफसरों पर की गई टिप्पणी की भी याद दिलाई।
बीजेपी की ओर से सांसद बांसुरी स्वराज ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव की चुप्पी पर सवाल उठाते हुए कहा कि उनकी पार्टी महिला सांसद के सम्मान से ज्यादा तुष्टिकरण की राजनीति को तरजीह दे रही है।
इधर समाजवादी पार्टी की सांसद इकरा हसन, जो डिंपल यादव के साथ मस्जिद बैठक में शामिल थीं, ने मौलाना के बयान को पूरी तरह से अनुचित बताया और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की।
यह विवाद अब संसद से सड़क तक गर्माता जा रहा है, जिसमें धार्मिक मर्यादा, महिला सम्मान और सियासी बयानबाज़ी तीनों के टकराव साफ दिख रहे हैं।






