
नई दिल्ली, 13 अगस्त 2025 —
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों को सड़कों से हटाकर शेल्टर होम्स में रखने का आदेश दिया है, लेकिन इस फैसले का कई लोग विरोध कर रहे हैं। बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी ने इस निर्देश को अव्यावहारिक और आर्थिक रूप से भारी बताया है। उन्होंने चेतावनी दी कि सड़कों से कुत्ते हटाने पर नई समस्याएं पैदा हो सकती हैं।
मेनका गांधी ने उदाहरण देते हुए कहा कि जैसे ही कुत्तों को हटाया जाएगा, बंदर जमीन पर आ जाएंगे। उन्होंने 1880 के दशक में पेरिस में हुई एक घटना का जिक्र किया, जब प्रशासन ने कुत्तों और बिल्लियों को हटाया, तो शहर में चूहों की बाढ़ आ गई। उनका कहना है कि यह ऐतिहासिक सबक हमें चेतावनी देता है कि प्राकृतिक संतुलन से छेड़छाड़ के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
इतिहास के अनुसार, उस समय पेरिस में कुत्तों को रेबीज़ और गंदगी फैलाने वाला माना जाता था, जिसके चलते बड़े पैमाने पर उन्हें मारा गया। लेकिन इनकी कमी से चूहों की संख्या तेजी से बढ़ी और वे नालियों से निकलकर घरों में घुसने लगे। इससे स्वच्छता और स्वास्थ्य की नई चुनौतियां खड़ी हो गईं।
मेनका गांधी का कहना है कि कोर्ट का आदेश लागू करने के लिए शेल्टर होम्स बनाने में आधा एकड़ जमीन और करीब 15,000 करोड़ रुपये का खर्च आएगा, जो व्यावहारिक नहीं है। उन्होंने सुझाव दिया कि समस्या का समाधान कुत्तों की नसबंदी कर उन्हें वहीं रहने देना है, न कि उन्हें एक जगह से दूसरी जगह ले जाना।
उनके अनुसार, जब कुत्तों को हटाकर दूसरी जगह भेजा जाता है, तो वे आक्रामक हो जाते हैं और काटने की घटनाएं बढ़ जाती हैं। इसीलिए, उन्होंने कोर्ट और प्रशासन से आग्रह किया कि वे पशु कल्याण और शहरी पारिस्थितिकी को ध्यान में रखते हुए संतुलित नीति बनाएं, जिससे इंसानों और जानवरों के बीच सह-अस्तित्व कायम रह सके।