लखनऊ, 21फरवरी 2025:
विधान परिषद सदस्य विजय बहादुर पाठक ने यूपी में कार्यरत आठ लाख आउटसोर्सिंग कार्मिकों की समस्या को विधान परिषद में उठाया। उन्होंने शुक्रवार को नियम 115 के तहत देश के दूसरे राज्यों की तरह यूपी के आउटसोर्सिंग कार्मिकों को भी 18 हजार न्यूनतम वेतन दिए जाने की मांग की।
कहा- आम हो गई है इनके शोषण की शिकायत
विधान परिषद में अपनी बात रखते हुए एमएलसी विजय बहादुर पाठक ने कहा कि यूपी में आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के विरूद्ध अवैध कार्रवाई तथा शोषण की शिकायत आम हो चुकी है। वर्तमान भाजपा सरकार इन्हें दूर करने और सर्विस प्रोवाइडर एजेंसियों को जवाबदेही बनाने के यंत्र विकसित कर रही हैं। प्रदेश सरकार आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की भर्ती, सेवाओं और सुविधाओं की मॉनिटरिंग करने के नियम भी बना रही है।
पद के अनुसार वेतन का नहीं हुआ निर्धारण
उन्होने कहा कि आज आउटसोर्सिंग कर्मचारियों का वेतन अब सीधे उनके बैंक खाते में डाला जा रहा है। आज प्रदेश में लगभग 8 लाख आउटसोर्सिंग कर्मचारी विभिन्न विभागों में सेवारत हैं। ऐसे कार्मिकों को काम के बदले बहुत कम वेतन दिया जा रहा है। इसका मुख्य कारण कार्मिकों के पद के अनुसार वेतन निर्धारित का न होना है। ऐसी स्थिति में सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन का भुगतान ही किया जाना है।
यूपी में अन्य राज्यों के मुकाबले प्रतिमाह कम है वेतन
यूपी में जहां न्यूनतम वेतन 10,700/- प्रतिमाह है, वही देश के दूसरे राज्यों में न्यूनतम वेतन 18,000/- प्रतिमाह है। इस प्रकार यहां के आउटसोर्सिंग कार्मिकों का वेतन अन्य प्रदेशों के हिसाब से बहुत कम है। उन्होंने प्रदेश में सेवारत आउटसोर्सिंग कार्मिकों का न्यूनतम वेतन 18 हजार प्रतिमाह करने की मांग रखी।