
दाहोद, 18 मई 2025
गुजरात में एक बड़ा मनरेगा का घोटाला सामने आया है जिसमें पुलिस ने गुजरात सरकार में पंचायत एवं कृषि राज्य मंत्री बच्चूभाई खबाड़ के बेटे बलवंत खबाड़ को गिरफ्तार किया है। बताया जा रहा है कि यह गिरफ्तारी मनरेगा में करीब 71 करोड़ रुपये के घोटाले के आधार पर की गई है। पुलिस ने कथित संलिप्तता के लिए शनिवार को मंत्री के बेटे को गिरफ्तार किया।
मामले में पुलिस ने बताया कि इस घोटाले में एजेंसियों ने बिना काम पूरा किए और सामान की आपूर्ति किए बिना सरकार से भुगतान प्राप्त कर लिया था। पुलिस ने इस मामले में दाहोद जिले में तत्कालीन तालुका विकास अधिकारी (टीडीओ) दर्शन पटेल को भी गिरफ्तार किया है, जिससे अब तक गिरफ्तार किए गए लोगों की संख्या सात हो गई है।
कथित घोटाले में 35 एजेंसियों के मालिकों ने सरकारी अधिकारियों के साथ मिलीभगत करके महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (एमजीएनआरईजीए) योजना के तहत भुगतान प्राप्त करने के लिए फर्जी कार्य पूर्णता प्रमाण पत्र और अन्य सबूत पेश करके 2021 और 2024 के बीच 71 करोड़ रुपये की हेराफेरी की।
पुलिस अधिकारी ने बताया कि बलवंत खबाड़ इनमें से एक एजेंसी के मालिक हैं, जिन पर आदिवासी बहुल दाहोद जिले के देवगढ़ बारिया और धनपुर तालुका के अंतर्गत आने वाले क्षेत्रों में मनरेगा कार्यों में धोखाधड़ी करने का आरोप है। पुलिस उपाधीक्षक और जांच अधिकारी जगदीशसिंह भंडारी ने बताया, “दाहोद पुलिस ने जिले में मनरेगा घोटाले के सिलसिले में बच्चूभाई खबाद के बेटे बलवंत खबाद और तत्कालीन टीडीओ दर्शन पटेल को गिरफ्तार किया है। हमने पहले पांच लोगों को गिरफ्तार किया था।”
जिला ग्रामीण विकास एजेंसी (डीआरडीए) द्वारा 71 करोड़ रुपये के घोटाले का खुलासा किए जाने के बाद पुलिस ने पिछले महीने सरकारी कर्मचारियों सहित अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ धोखाधड़ी, जालसाजी और विश्वासघात के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की थी।
पुलिस एफआईआर में बताया गया है कि जांच के दौरा आरडीए अधिकारियों को पता चला कि यहां पर उन ठेकेदारों को भुगतान किया गया है जिन्होंने अभी तक सड़क बनाने का काम भी नहीं किया है, सड़क केवल कागजों में ही दिखा दी गई है। बताया जा रहा है कि ठेकेदार को जो काम सौंपा गया था उसमें जनवरी 2021 से दिसंबर 2024 के बीच दाहोद में 2 सड़कें, चेक दीवारें और पत्थर के बांद बनाना शामिल है। पुलिस ने बताया कि ठेका उन एजेंसियों और ठेकेदारों को दिया गया जो माल की सप्लाई ही नहीं कर सकती थी और काम के लिए जारी किए गए निविदा की प्रक्रिया में उन्होंने हिस्सा भी नहीं लिया था। फिलहाल मामले में कार्यवाही जारी है।






