अंशुल शर्मा
वाराणसी,5 फरवरी 2025:
वाराणसी के चंदुआ छित्तूपुर की वो गली, जहां कभी किताबों की खुशबू से महकता एक कमरा था, आज मातम में डूब गया है। 28 वर्षीय प्रेम शर्मा, जिनकी आंखों में आईएएस बनने के सपने पल रहे थे, ने अपनी जीवन-यात्रा को स्वयं ही विराम दे दिया।
प्रेम के दोस्त ने जब उन्हें कई बार कॉल किया और कोई जवाब नहीं मिला, तो घबराकर उनके कमरे पर पहुंचे। दरवाजा बंद था, खटखटाने पर भी कोई आवाज नहीं आई। बेचैनी बढ़ी, तो खिड़की से झांका—और जो नजारा देखा, उसने पैरों तले जमीन खींच ली। कमरे में प्रेम का निर्जीव शरीर फंदे से झूल रहा था।
पुलिस को सूचना दी गई। जब कमरे की तलाशी ली गई, तो वहां एक सुसाइड नोट पड़ा था। उसमें लिखा था—
“मां, मुझे माफ करना, मैं आपके सपने को पूरा नहीं कर पाया।”
बस, यही एक पंक्ति थी, लेकिन इसके पीछे छुपा दर्द और असफलता का बोझ शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। प्रेम अपने परिवार का सबसे छोटा बेटा था—तीन भाई, दो बहनें और एक मां, जिन्होंने उसे बड़े अरमानों से पढ़ने भेजा था।
बताया जा रहा है कि प्रेम अपने दूसरे प्रयास में असफल होने के बाद से बेहद परेशान था। वह कम ही लोगों से बात करता, अकेले कमरे में रहता। आखिरी बार उसने मंगलवार रात अपनी मां से फोन पर कहा था, “मैं ठीक हूं, कल परीक्षा पास कर लूंगा।” लेकिन अगले दिन उसकी सांसों ने ही उसका साथ छोड़ दिया।