
मुंबई, 20 मार्च 2025
दक्षिण मुंबई की 86 वर्षीय एक महिला ने दो महीने में ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ धोखाधड़ी में अपनी बचत के 20 करोड़ रुपये से अधिक खो दिए। पुलिस ने मामले में बताया कि जालसाजों में से एक ने महिला से पैसे ऐंठने के लिए खुद को ‘सीबीआई अधिकारी’ बताया। उन्होंने बताया कि 26 दिसंबर 2024 से इस साल तीन मार्च के बीच हुए इस अपराध के सिलसिले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। एक अधिकारी ने बताया कि आरोपियों ने पीड़िता को दो महीने तक घर पर ही रहने को मजबूर किया और हर तीन घंटे में फोन करके उसकी लोकेशन जानने को कहा। उन्होंने बताया कि साइबर पुलिस ने उन बैंक खातों की पहचान करके महिला के 77 लाख रुपये फ्रीज करने में सफलता हासिल की है, जिनमें धन हस्तांतरित किया गया था।
‘डिजिटल गिरफ्तारी’ साइबर धोखाधड़ी का एक नया और बढ़ता हुआ रूप है जिसमें धोखेबाज़ खुद को कानून प्रवर्तन अधिकारी या सरकारी एजेंसियों के कर्मचारी बताते हैं और ऑडियो/वीडियो कॉल के ज़रिए पीड़ितों को डराते हैं। वे पीड़ितों को बंधक बनाते हैं और पैसे चुकाने के लिए उन पर दबाव डालते हैं।
इस महीने की शुरुआत में महिला द्वारा दर्ज कराई गई पुलिस शिकायत के अनुसार, उसे एक व्यक्ति का फोन आया, जिसने खुद को सीबीआई अधिकारी होने का दावा किया और उसे बताया कि उसके आधार कार्ड के आधार पर एक बैंक खाता खोला गया है, जिसका इस्तेमाल मनी लॉन्ड्रिंग के लिए किया जाएगा।
अधिकारी ने बताया कि इसके बाद उस व्यक्ति ने उससे कहा कि मामले की जांच केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) कर रही है और उसे अपने कमरे में ही रहना चाहिए। उसने उसे “डिजिटल गिरफ्तारी” की धमकी भी दी। उसने उसके बच्चों को भी गिरफ्तार करने की धमकी दी।
महिला के घर पर काम करने वाली एक घरेलू सहायिका ने उसके व्यवहार पर गौर किया क्योंकि वह केवल खाने के लिए ही अपने कमरे से बाहर निकलती थी और अपने कमरे में किसी पर चिल्लाती थी। उन्होंने बताया कि नौकरानी ने महिला की बेटी को इस बारे में बताया। अधिकारी ने बताया कि जालसाजों ने बुजुर्ग महिला से उनके खाते की धनराशि की पुष्टि करने के बहाने बैंक विवरण मांगा, जो आपराधिक गतिविधि से जुड़ा हुआ था। उन्होंने बताया कि आरोपियों ने कथित तौर पर दो महीने की अवधि में उनसे 20.26 करोड़ रुपये ऐंठ लिए, जिसके लिए उन्होंने “मामले” से उनका नाम हटाने और अदालती फीस सहित विभिन्न कारणों का हवाला दिया।
अधिकारी ने बताया कि जालसाजों ने जांच पूरी होने के बाद रकम वापस करने का वादा किया था। उन्होंने बताया कि मामले की जांच के दौरान साइबर पुलिस को पता चला कि पैसा विभिन्न बैंक खातों में स्थानांतरित किया गया था, जिसमें यहां मलाड क्षेत्र निवासी शायान जमील शेख (20) का खाता भी शामिल था।
पुलिस ने बताया कि शेख के खाते में 4.99 लाख रुपये स्थानांतरित किये गये थे, जिसे उसने निकालकर दूसरे जालसाज को दे दिया था। अधिकारी ने बताया कि साइबर पुलिस ने हाल ही में शेख का पता लगाया और उसकी गिरफ्तारी और पूछताछ के बाद उन्होंने पड़ोसी ठाणे के मीरा रोड निवासी एक अन्य आरोपी रजीक अज़ान बट (20) को भी गिरफ्तार कर लिया। उन्होंने बताया कि पुलिस ने बुधवार को एक और आरोपी, अंधेरी निवासी ऋतिक शेखर ठाकुर (25) की पहचान की, जिसके खाते में नौ लाख रुपये ट्रांसफर किए गए थे और उसे देर रात गिरफ्तार कर लिया गया। अधिकारी ने बताया कि ठाकुर ने एसबीआई खाते से 9 लाख रुपये निकालने की बात स्वीकार की है, जिसे उसके सहयोगियों ने महिला को धोखा देने के बाद स्थानांतरित किया था। उन्होंने बताया कि साइबर पुलिस को संदेह है कि बट साइबर धोखाधड़ी करने वालों के एक अंतरराष्ट्रीय गिरोह का हिस्सा था।
अधिकारी ने बताया कि उन्होंने दो और आरोपियों की भी पहचान की है, जिन्हें भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता की धारा 35 (जिसमें पुलिस बिना वारंट के गिरफ्तारी कर सकती है) के तहत नोटिस जारी किया गया है।






