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नरसिंह राव की 17 भाषाओं की क्षमता और आर्थिक सुधारों को नायडू ने बताया राष्ट्र की सबसे बड़ी पूंजी

अमरावती | 16 जुलाई 2025
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनकी बहुभाषिकता, राजनीतिक सूझबूझ और ऐतिहासिक आर्थिक सुधारों की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि राव को हिंदी सहित 17 भाषाओं का ज्ञान था और वे एक ऐसे राजनेता थे, जिनकी दूरदर्शिता ने भारत की दिशा ही बदल दी।

‘नरसिंह राव का जीवन और विरासत’ विषय पर आयोजित व्याख्यान में नायडू ने कहा कि राव केवल एक राजनेता नहीं, बल्कि भारत के देंग शियाओपिंग थे। उन्होंने 1991 के आर्थिक संकट के दौर में जो सुधार लागू किए, वही आज भारत की आर्थिक नींव हैं। नायडू ने कहा कि जैसे देंग ने 1978 में चीन की अर्थव्यवस्था को बदला, वैसे ही राव ने भारत को उदारीकरण की राह पर डाला।

हिंदी भाषा को लेकर देश में चल रहे विवाद के बीच नायडू का यह बयान भी खास रहा। उन्होंने कहा, “हम अब सवाल पूछते हैं कि हमें हिंदी क्यों सीखनी चाहिए? लेकिन यह नहीं भूलना चाहिए कि नरसिंह राव जैसे नेताओं ने कई भाषाओं को अपनाकर एकता की मिसाल पेश की।” उन्होंने महाराष्ट्र और तमिलनाडु में भाषा विवादों पर अप्रत्यक्ष रूप से कटाक्ष भी किया।

नायडू ने याद दिलाया कि राव एक अल्पमत सरकार का नेतृत्व कर रहे थे, फिर भी उन्होंने विभिन्न राजनीतिक विचारों के बीच सामंजस्य बैठाकर बड़े फैसले लिए। यही उनकी सबसे बड़ी ताकत थी। उन्होंने कहा कि राव के आर्थिक सुधारों की वजह से 1989 से 2014 के बीच गठबंधन सरकारों के बावजूद भारत की विकास गति स्थिर रही।

मुख्यमंत्री ने अटल बिहारी वाजपेयी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भी तारीफ करते हुए कहा कि राव की नीतियों की नींव पर देश की वर्तमान आर्थिक सफलता खड़ी है। भाषाई बहुलता और आर्थिक नीतियों में नरसिंह राव की भूमिका को नायडू ने भारत की सबसे बड़ी पूंजी बताया।

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