लखनऊ, 13 सितंबर 2025:
पड़ोसी देश नेपाल की राजनीति में बड़ा बदलाव देखने को मिला है। तख्तापलट के बाद देश की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रह चुकीं सुशीला कार्की को अंतरिम प्रधानमंत्री नियुक्त किया गया है। भारत के उत्तर प्रदेश से उनका गहरा संबंध रहा है। कार्की ने 1975 में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) से राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की थी।
नेपाल में विराटनगर की मूल निवासी सुशीला कार्की का जन्म 7 जून 1952 को हुआ था। सात भाई-बहनों में सबसे बड़ी सुशीला ने 1972 में विराटनगर के महेंद्र मोरंग परिसर से बीए की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उन्होंने बीएचयू से एमए और त्रिभुवन विश्वविद्यालय से कानून की डिग्री हासिल की।
उनके पति दुर्गा प्रसाद सुबेदी भी बीएचयू से पढ़े हैं। वे नेपाल में कांग्रेस के युवा नेता रहे। सुबेदी का नाम पंचायत शासन विरोधी आंदोलनों और विमान अपहरण प्रकरण में भी जुड़ा रहा।
सुशीला कार्की ने 1979 में विराटनगर में वकालत शुरू की। 2009 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में एड-हॉक जस्टिस नियुक्त किया गया और 2010 में स्थायी न्यायाधीश बनीं। 11 जुलाई 2016 से 7 जून 2017 तक वे नेपाल के सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश रहीं।
उनके कई फैसले ऐतिहासिक माने जाते हैं, जिनमें शाही परिवार से जुड़ी संपत्ति विवाद और बैंक नोटों की छपाई में भ्रष्टाचार का मामला शामिल है। 2017 में उन पर महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया था, लेकिन जनता के दबाव और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर वह वापस लेना पड़ा।
न्यायपालिका के साथ-साथ सुशीला कार्की साहित्य में भी सक्रिय रही हैं। उनकी दो पुस्तकें “न्याय” (आत्मकथा) और “कारा” प्रकाशित हो चुकी हैं। नेपाल की मौजूदा राजनीतिक अस्थिरता के बीच उनका प्रधानमंत्री पद पर आना एक ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है।