बाराबंकी/लखनऊ, 7 दिसंबर 2025:
बाराबंकी जिले में देवाशरीफ के पास छोटे से गांव राजौली से निकला एक युवा आज अंतरराष्ट्रीय बाजार में अपनी पहचान बनाने जा रहा है। ये हैं ‘मधुमक्खीवाला’ स्टार्ट-अप के संस्थापक निमित सिंह, इनके संघर्ष ने प्राकृतिक शहद उत्पादन को एक नई दिशा दी है। इसी सफर की अहम कड़ी बनते हुए शनिवार को न्यूज़ीलैंड के प्राइमरी इंडस्ट्रीज मिनिस्ट्री के प्रतिनिधि ईशन जयवर्धने और एपीईडीए के रीजनल हेड संदीप साहा ने बाराबंकी पहुंचकर उनकी फर्म का निरीक्षण किया।
प्रतिनिधि दल ने मधुमक्खीवाला फर्म में अपनाई जा रही शुद्ध और प्राकृतिक शहद उत्पादन तकनीकों का जायजा लिया। बिना गर्म किए, बिना मिलावट और बिना किसी केमिकल के शहद तैयार करने की विधि ने टीम को प्रभावित किया। सरसों, अजवाइन, जामुन, मल्टीफ्लोर और यूकेलिप्टस जैसे प्राकृतिक स्रोतों से तैयार शहद की गुणवत्ता की भी तारीफ की गई। दल ने भरोसा जताया कि यदि यही गुणवत्ता बरकरार रही तो यह उत्पाद न्यूज़ीलैंड के विश्व प्रसिद्ध मनुका हनी की तरह ग्लोबल मार्केट में अलग पहचान बना सकता है। उन्होंने इसकी ग्लोबल ब्रांडिंग व बिक्री में सहयोग का भरोसा दिया।

निमित सिंह ने बताया कि उन्होंने 2014 में कुछ बॉक्स और सीमित साधनों के साथ मधुमक्खी पालन शुरू किया था। गांव के लोगों ने शुरू में संदेह जताया, लेकिन परिवार ने हौसला बढ़ाया। कई बार मधुमक्खियों के छत्ते नष्ट हुए, मौसम ने साथ नहीं दिया, और उत्पादन में गिरावट भी आई, लेकिन निमित ने हार नहीं मानी। धीरे-धीरे उन्होंने आधुनिक तकनीक सीखी, प्रशिक्षण लिया और स्थानीय किसानों को भी जोड़ना शुरू किया। आज उनकी टीम में दर्जनों स्थानीय बी-कीपर्स शामिल हैं जो शहद उत्पादन को अपनी स्थायी आजीविका बना चुके हैं।
निमित के काम को राजभवन में गवर्नर अवॉर्ड मिल चुका है। प्रधानमंत्री ने ‘मन की बात’ में उनकी पहल का उल्लेख किया गया था। अब न्यूज़ीलैंड के साथ प्रस्तावित एफटीए के तहत उनकी फर्म का चयन होना उनके लिए बड़ा कदम माना जा रहा है। टीम ने न सिर्फ उनके शहद की गुणवत्ता की सराहना की बल्कि ग्लोबल ब्रांडिंग और निर्यात में सहयोग देने का आश्वासन भी दिया।
निमित कहते हैं कि मैं चाहता था कि गांव के युवाओं को पता चले कि मेहनत और सीख के दम पर वे भी कुछ बड़ा कर सकते हैं। शहद मेरे लिए सिर्फ कारोबार नहीं, बल्कि गांव से जुड़ी पहचान को दुनिया तक ले जाने का जरिया है। फिलहाल टीम ने जिले के अन्य शहद उत्पादकों से भी बातचीत की और गुणवत्ता बढ़ाने के टिप्स दिए ताकि भविष्य में अधिक से अधिक लोगों को निर्यात का लाभ मिल सके।





