अमित मिश्र
महाकुम्भ नगर, 17 फरवरी 2025:
13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में अब तक 13 बच्चों के जन्म हो चुके हैं।
उत्तर प्रदेश के ऐतिहासिक महाकुंभ 2025 के दौरान संगम तट पर केवल स्नान और पूजा-अर्चना ही नहीं हो रही, बल्कि यहां जीवन का नया अध्याय भी शुरू हो रहा है। 13 जनवरी से शुरू हुए महाकुंभ में अब तक 13 बच्चों का जन्म हो चुका है, जो इस आध्यात्मिक मेले को और खास बना रहा है। इन नवजातों को विशेष धार्मिक नाम दिए गए हैं, जो कुंभ मेले की पवित्रता और आध्यात्मिकता को दर्शाते हैं।
महाकुंभ में जन्म लेने वाले इन शिशुओं को “कुंभ”, “भोला”, “गंगा”, “बजरंगी”, “यमुना”, “सरस्वती”, “नंदी”, “अमृत”, “बसंत”, “बसंती”, “शंकर”, “कृष्णा” और “पूर्णिमा” नाम दिया गया है। सेंट्रल हॉस्पिटल की पहल पर इन बच्चों के माता-पिता ने खुशी-खुशी ये नाम अपनाए, ताकि यह पावन अवसर जीवनभर यादगार बना रहे।
गौर करने वाली बात यह है कि इन सभी बच्चों का जन्म सामान्य प्रसव से हुआ है और वे पूरी तरह स्वस्थ हैं। हाल ही में माघ पूर्णिमा के दिन 13वें बच्चे का जन्म हुआ, जिसे “पूर्णिमा” नाम दिया गया। इसी तरह, बसंत पंचमी पर जन्मे शिशु का नाम “बसंत” और बच्ची का नाम “बसंती” रखा गया। अमृत स्नान के दिन जन्मे बच्चे को “अमृत” कहा गया। माता-पिता का मानना है कि ये नाम जीवनभर उन्हें और उनके परिजनों को महाकुंभ मेले की पावन स्मृतियों से जोड़कर रखेंगे।