
नई दिल्ली, 19 जून 2025:
भारत में जहां केंद्र सरकार 15 अगस्त 2025 से FASTag आधारित एनुअल पास लॉन्च करने जा रही है, वहीं दुनिया में सबसे तेज और तकनीकी रूप से उन्नत टोल सिस्टम नॉर्वे का बताया जा रहा है। भारत में नए सिस्टम के तहत निजी वाहन मालिकों को 3,000 रुपये में सालभर के लिए 200 बार टोल क्रॉस करने की अनुमति मिलेगी, जिससे समय और पैसे दोनों की बचत होगी।
दूसरी ओर, नॉर्वे का टोल सिस्टम किसी भी भौतिक टोल बूथ पर निर्भर नहीं है। यहां AutoPASS नामक एक पूरी तरह से डिजिटल प्रणाली काम करती है, जो ऑटोमेटेड नंबर प्लेट रिकग्निशन (ANPR) टेक्नोलॉजी पर आधारित है। जैसे ही कोई वाहन तेज़ रफ्तार में टोल क्षेत्र से गुजरता है, कैमरे उसकी नंबर प्लेट स्कैन कर लेते हैं और संबंधित टैक्स सीधे वाहन मालिक के अकाउंट से कट जाता है। इस प्रक्रिया में वाहन को धीमा करने की जरूरत नहीं पड़ती और कोई रुकावट नहीं होती।
नॉर्वे ने यह अत्याधुनिक प्रणाली 1991 में शुरू की थी और इसके बाद कई देशों ने इससे प्रेरणा ली। सिंगापुर और दक्षिण कोरिया जैसे देशों ने कैमरा और सेंसर बेस्ड टोल वसूली प्रणाली को अपनाया, लेकिन नॉर्वे जैसी गति और कुशलता अभी तक किसी देश में नहीं देखी गई। जापान में भी टोल प्रणाली टेक फ्रेंडली है, जबकि अमेरिका में स्पीड लिमिट आधारित वसूली की जाती है।
स्विट्ज़रलैंड में भी सालाना टोल टैक्स सिस्टम है, जहां वाहन मालिकों को एक बार भुगतान करना होता है और फिर उन्हें किसी भी टोल बूथ पर रुकने की जरूरत नहीं पड़ती। हालांकि, तकनीक के मामले में यह प्रणाली नॉर्वे से पीछे मानी जाती है।
भारत में नितिन गडकरी के नेतृत्व में परिवहन मंत्रालय FASTag आधारित एनुअल पास प्रणाली शुरू कर रहा है, जिससे यात्रियों को टोल भुगतान में राहत मिलेगी। फिलहाल के सिस्टम में लोगों को औसतन ₹10,000 तक का टोल देना पड़ता है, लेकिन नए पास से यह खर्च घटकर ₹3,000 रह जाएगा।